MP: पूर्व CM और पूर्व केंद्र मंत्री उमा भारती ने अपने गांव में मनाया अपना जन्मदिन, दिया ये संदेश

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मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने आज यानी मंगलवार को अपने गांव में अपना जन्मदिन मनाया। अपने जन्मदिन के दौरान एक संदेश देते हुए उमा ने एक बार फिर गंगा की सफाई और मध्यप्रदेश में शराब बंदी का मुद्दा उठाया है, लेकिन जिस तरह के संदर्भ उन्होंने अपने पत्र में दिये हैं वे आने वाले दिनों में उनकी गतिविधियों की भनक दे रहे हैं. पीएम मोदी की बंगाल हार के अगले दिन आया उमा का यह संदेश चर्चा का विषय बन गया है. इसकी जानकारी उन्होंने खुद मीडिया को दी है.

उमा भारती ने कहा-आज मेरा जन्मदिन है. सुबह से ही बधाइयाँ एवं आशीर्वाद मिल रहे हैं. संयोग से मैं अपनी जन्मभूमि टीकमगढ़ में हूँ. यहाँ पर मेरे भाई स्वामी प्रसाद जी की खेती है।मेरी अपनी माटी में , अपने जन्मस्थान पर रहने की बहुत इच्छा थी. मै यहाँ लगभग दस दिनों से हूँ. मेरा जन्मदिन आने वाला था । मैं अपने बीते जीवन का स्मरण करके आगे का रोडमैप बनाना चाह रही थी इसलिये बिलकुल एकांत में रही. मैंने कभी भी अपने आप को असाधारण मनुष्य नही समझा। लेकिन मेरे जीवन में आसपास की स्थिति असाधारण रही.

मैं जब 6 साल की थी तबसे मैंने हिंदू धर्म शास्त्रों पर प्रवचन करना शुरू किया। पहले भारत में फिर भारत के बाहर महत्त्वपूर्ण 50 देशों में 21 वर्ष की आयु तक हिंदू धर्म का प्रचार किया। पूरे विश्व में व्याप्त विषमता देखकर, मेरे हृदय में अन्याय के ख़िलाफ़ आग जल उठी और उसीसे मैंने 23 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया। यह स्वाभाविक था की मेरा राजनीतिक आधार भाजपा में ही होना था। क्योंकि मैं 8 वर्ष की उम्र से ही ग्वालियर की दिवंगत राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सम्पर्क में थी । उन्ही की वजह से 1970 से आज तक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक तथा जनसंघ से लेकर आज तक के भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता मुझे अपना परिवार लगते है । मैंने 1970 में मध्यप्रदेश के अशोकनगर विधानसभा उपचुनाव में 8 साल की उम्र में प्रचार किया और हमने वह सीट जीती।

तभी से जीवन की दो धाराए चली । एक तरफ मेरे प्रवचनों में देश विदेश में भारी भीड़ और दूसरी तरफ़ राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में भी ज़रूरत पड़ने पर मै अनौपचारिक रूप से सक्रिय रही । फिर पूरी तरह से तल्लीन हो कर राजनीति की । 4 लोकसभा के चुनाव खजुराहो और 1 भोपाल मध्यप्रदेश से फिर झाँसी , उत्तरप्रदेश से जीते। फिर एक विधानसभा का चुनाव मध्यप्रदेश से एवं एक उत्तरप्रदेश से जीता ।

पहले अपने पार्टी की युवामोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी। बाद में राष्ट्रीय महासचिव एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यह ज़िम्मेवारी मिलती रही ।
6 साल अटल जी के साथ तथा 5 साल मोदी जी के साथ केंद्र में मंत्री (कैबिनेट) तथा मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रही। इस प्रकार सत्ता में भी मेरी भागीदारी रही ।

जब 1980 में भाजपा बनी तब भाजपा के स्थापित होने में जो आंदोलन हुए जैसे कि कश्मीर का तिरंगा आंदोलन, आसाम और बंगाल में घुसपैठ का आंदोलन, फिर लगभग अब तक चला रामजन्मभूमि अभियान, फिर कर्नाटक में भी तिरंगा आंदोलन इस सबमें प्रमुख रूप में भागीदारी की । वह कड़ी मेहनत का दौर था । सुविधाओं का अभाव था । हम लगभग कही भी सत्ता में नही थे । बस कार्यकर्ता थे , भीड़ थी और हम थे। और एक परम लक्ष्य की तरफ़ बढ़ते जा रहे थे । मेरी तो शक्ति के दो ही आधार थे राम और गरीब के लिये रोटी और इज्जत ।

मुझे आश्चर्य होता है कि क्या यह मै ही हूँ , जिसके आसपास इतनी उपलब्धियाँ , ज़िम्मेदारियाँ एवं महान लक्ष्य था कि भारतमाता को परम वैभव तक पहुँचाना हैं । वह परमानंद , शौर्य एवं बलिदान का दौर था । आनंद एवं उल्लास का दौर था । काम करते रहना ही उपलब्धि थी । प्यार एवं सामंजस्य का दौर था ।

2010 को जब रामजन्मभूमि आंदोलन पूर्णता को प्राप्त हुआ तो ज़िंदगी में अपने आप गंगा आ गयी तथा अभी तक है एवं कार्य की पूर्णता तक ज़िंदगी में रहेंगी । गंगा मेरे लिये नदी नही है बल्कि राष्ट्र की प्राणधारा है । इसको भी साफ करके ही रहूँगी । इसी बीच में मध्यप्रदेश में शराबबंदी की बात सामने आ गयी है। जिसमें मुझे सभी का समर्थन एवं भारी जनसमर्थन मिलने वाला था किन्तु मेरे गंगा एवं शराबबंदी के अभियान में कोरोना ने भारी अवरोध खड़ा कर दिया है ।मुझमें कोई गुण नही है , मैं तो अवगुण की ख़ान हूँ । मेरी माँ, मेरे गुरु तथा मेरे पितापरमेश्वर महादेव यही मेरे बल के आधार हैं ।मुझे पार्टी जो जिम्मेदारी देगी उसका निर्वहन करते हुए भी मैं अविरल, निर्मल गंगा एवं मध्यप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के अभियान में भागीदारी करती रहूँगी ।

मैंने 2019 का चुनाव लड़ने से इसलिये इनकार किया क्योंकि मुझे गंगा अभियान के लिए पूरे 2 साल लगाने थे । कोरोना ने सारी मानवता का तो नुक़सान किया ही है , वह मेरा भी परम शत्रु साबित हुआ है। उसने मेरे इन 2 सालों को छिन्नभिन्न किया है ।
गंगा मेरी निजी आस्था का विषय है। जैसे कि रामजन्मभूमि थी । रामजन्मभूमि के आंदोलन में भागीदारी करते हुए भी मैं राजनीतिक ज़िम्मेदारी को निभाती रही आगे भी ऐसा ही होता रहेगा ।

गंगा अविरल, निर्मल हो के रहेगी तथा मध्यप्रदेश में शराबबंदी हो के रहेगी । राम , गंगा एवं तिरंगा के लिये अब तक का जीवन अर्पित रहा एवं रहेगा साथ ही गाय, गरीब और नारी के पुकार पर अपने प्राण हथेली पर रखकर उनके साथ खड़ी हों जाऊँगी । यह आज अपने जन्मदिन पर मेरा विचार बना ।

इन्ही बातों के विस्तृत विवरण आगे एक हफ़्ते तक आपसे शेयर करती रहूँगी । आपको अगर कुछ जानना होगा तो मुझसे पूछ लीजियेगा । मै अगले एक हफ़्ते तक आपसे संवाद करती रहूँगी एवं आपका मार्गदर्शन प्राप्त करती रहूँगी ।

वहीं दूसरी ओर ऐसा माना जा रहा है कि लंबे समय से भाजपा में हाशिये पर चल रही उमा सही समय का इंतजार कर रही थीं. आने वाले दिनों में वह फिर सक्रिय होंगी।