कांग्रेस के दिग्गज़ नेता और एमपी के पूर्व सीएम मोतीलाल वोरा का निधन, ऐसा रहा राजनीतिक सफ़र

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नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ, दिग्गज़, अनुभवी नेता और मध्यप्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके मोतीलाल वोरा ने आज 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के फोर्टिंस अस्पताल में सोमवार दोहपर उनका निधन हो गया. वोरा कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में देखे जाते थे. उन्होंने दो बार मध्यप्रदेश की सत्ता संभाली है, साथ ही वे लगातार 18 साल तक 2000 से लेकर 2018 तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं. वोरा ने बीते कल ही अपना 93वां जन्मदिन मनाया था, जन्मदिन के अगले हे दिन वे दुनिया छोड़ चले.

राहुल गांधी ने जताया खेद…

मोतीलाल वोरा के निधन पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने शोक प्रकट किया है. राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से वोरा के निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ‘वोरा जी सच्चे कांग्रेसी और जबर्दस्त इंसान थे. उनकी कमी बहुत खलेगी. उनके परिवार से साथ मेरी संवेदनाएं हैं.’

https://twitter.com/RahulGandhi/status/1340963606486106114

ऐसा रहा राजनीतिक सफ़र….

मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1927 को राजस्थान में हुआ था. कांग्रेस में आने से पहले वोरा समाजपार्टी से जुड़े हुए थे. यह समय 1968 का था. वे 50 साल तक कांग्रेस में रहे हैं. साल 1970 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था.जब मध्यप्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था उस समय वोरा दुर्ग म्यूनिसिपल कमेटी के सदस्य के रूप में काम करते थे.

कांग्रेस पार्टी का दमन थामने के दो साल बाद ही पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी थी. 1972 में उनके पार्टी ने विधायक का चुनाव लड़ने का टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और उसमे उन्हें जीत हासिल हुई. इसके पांच साल बाद साल 1977 और फिर तीन साल 1980 में भी मोतीलाल वोरा विधायक बने. यहां उनका राजनीतिक क्षेत्र में कद बढ़ गया और अर्जुन सिंह की सरकार में उन्हें पहले उच्च शिक्षा विभाग में राज्य मंत्री का पद दिया गया.

वोरा आगे जाकर साल 1983 में कैबिनेट मंत्री बने. 1981-84 के दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन का पद भी संभाला. वोरा के राजनीतिक करियर ने उस समय बड़ा मोड़ लिया जब पहली बार वे एमपी के सीएम बने. 13 फरवरी 1985 को उन्होंने मध्यप्रदेश के सीएम के रूप में शपथ ली. सीएम पद को उन्होंने तीन साल के बाद साल 1988 में त्याग दिया. आगे जाकर मोतीलाल ने केंद्र के स्वास्थ्य-परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुके हैं.