अस्पताल में गलत नाम लिखवाने से मृत्यु प्रमाण पत्र में महिलाओं के नाम में सबसे ज्यादा गलती, तो कब्रिस्तान से समय पर निगम में डाटा नहीं पहुंचने से होती है प्रमाण पत्र में देरी

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इंदौर। शहर में मृत्य और जन्म प्रमाण पत्र के लिए प्रशासन द्वारा घर पहुचाओं मुहिम चलाई जा रही हैं। जिसके तहत जन्म और मृत्यु के बाद 48 घंटो के भीतर प्रमाण पत्र घर पहुंच जाता हैं ताकि लोगों को घंटो परेशान ना होना पड़े। लेकिन इसमें करेक्शन को लेकर लोगों के जमावड़े नगर निगम के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र ऑफिस में लगे रहते हैं। और इसका कारण परिजन द्वारा गलत नाम लिखवाना, या शमशान कब्रिस्तान से सही डाटा नहीं मिल पाना होता हैं।

अगर बात शहर के कब्रिस्तान की करी जाए तो सबसे ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र में करेक्शन के मामले यहीं सामने आते हैं। जिसमें गलत नाम और अन्य चीजें शामिल हैं। वहीं कई बार तो मृत्यु के बाद कब्रिस्तान से नगर निगम ऑफिस तक डाटा ही नहीं पहुंचता हैं। जब परिजन प्रमाण पत्र के लिए आते हैं तब छान बीन करके मंगवाया जाता हैं, इस वजह से मृत्यु प्रमाण पत्र में देरी हो जाती हैं। कई बार ज्यादा समय होने पर कोर्ट के एफिडेफिट और अन्य प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं।

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इसी के साथ अगर बात अन्य मृत्यु प्रमाण पत्र की करी जाए तो इनमें सबसे ज्यादा गलतियां महिलाओं के नाम पर सामने आती हैं। अस्पताल ले जाने पर कई लोगों को महिलाओं के नाम नहीं पता होने पर वो बोलचाल के नाम लिखवा देते हैं, जिसके बाद हॉस्पिटल से डाटा आने पर उसी नाम के हिसाब से मृत्यु प्रमाण पत्र बन जाता हैं। जिस वजह से कई बार परिजनों को नाम बदलवाने के लिए नगर निगम आना होता हैं।

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वहीं जबसे प्रॉपर्टी में फ्रॉड के केस सामने आने लगे हैं तबसे नगर निगम द्वारा कोर्ट से अन्य दस्तावेज मंगवाए जाते हैं। तो कई बार मृत के परिजनों को कोर्ट से भी नाम में करेक्शन के लिए जाना होता हैं. अगर बात जन्म प्रमाण पत्र में करेक्शन की करी जाए तो इसको लेकर लेकर कुछ ही लोग निगम के ऑफिस में आते हैं। नगर निगम द्वारा शुरू में नाम के कॉलम को रिक्त छोड़ दिया जाता हैं, जिसमें बच्चें के नामकरण के पश्चात इस कॉलम को भर दिया जाता हैं।