नई दिल्ली। मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति ने मानसून सत्र के आयोजन की सिफारिश की है। सूत्रों के अनुसार संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने सिफारिश की है कि संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) का आयोजन 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक किया जाए। सूत्रों की माने तो कुल 18 बैठकें होंगी और इसकी तिथियां बाद में दिन में घोषित की जाएंगी। वही वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते संसद के मानसून सत्र के लिए कई तैयारियां जारी है, जिसमें कोरोनाकाल के चलते पहली बार कई कदम उठाये जा रहे है। जैसे लोकसभा और राज्यसभा में लोगों के बैठने के लिए दोनों की गैलरियों का भी उपयोग किया जाएगा और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सदस्यों को दोनों के कक्षों और दीर्घाओं में बैठाया जाएगा।
बता दे कि 1952 के बाद भारतीय संसद के इतहास में पहली बार इस तरह की व्यवस्था की गई है। वही 60 सदस्य सदन में पर 51 राज्यसभा की दीर्घाओं में और शेष 132 लोकसभा के कक्ष में बैठेंगे। इसके साथ ही लोकसभा सचिवालय द्वारा भी बैठने की समान व्यवस्था की जा रही है। बता दे कि पहली बार दीर्घाओं में बैठने की व्यवस्था, पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण और साथ दोनों सदनों के बीच पॉली कार्बोनेट विभाजक का प्रयोग और विशेष केबलों, बड़े डिस्प्ले स्क्रीन का प्रयोग होगा।
वही सोमवार को लोकसभा सचिवालय ने कहा कि संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान कोविड-19 के मद्देनजर सांसदों को अध्यादेशों की कोई कागजी प्रति वितरित नहीं की जाएगी और इसकी जगह उन्हें डिजिटल प्रति उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार द्वारा लागू किए गए कई अध्यादेशों के आगामी सत्र में संसद में आने की उम्मीद है।
सदस्यों को सूचित करते हुए एक बयान में लोकसभा सचिवालय ने कहा था कि सदस्यों को सूचित किया जाता है कि कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर और संक्रमण के प्रसार को रोकने के क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र से अध्यादेशों की कागजी प्रति वितरित नहीं की जाएगी क्योंकि भौतिक रूप से कागजों के प्रबंधन से संक्रमण हो सकता है।