शालिनी रमानी
मॉडर्न मेडिसिन के अलावा एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर भी इलाज का बेहतरीन तरीका हो सकते हैं। इनमें बेशक इलाज में ज्यादा वक्त लगता है, लेकिन कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हमारे देश में ये सिस्टम बहुत चलन में नहीं हैं लेकिन चीन में ज्यादातर इन्हीं के जरिए इलाज किया जाता है। हालांकि अब ये तरीके अपने यहां भी इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं।
एक्युपंक्चर/एक्युप्रेशर का मतलब
एक्यु चीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है पॉइंट, यानी अगर शरीर के कुछ खास पॉइंट्स पर सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्युपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं पॉइंट्स पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्युप्रेशर कहलाता है। अगर पैरों और हाथों के पॉइंट्स को दबाते हैं तो रिफ्लेक्सॉलजी कहलाता है, जबकि मसाज के जरिए पूरे शरीर के पॉइंट्स दबाने को शियात्सु कहते हैं। अगर एनर्जी कम है तो क्लॉकवाइज और ज्यादा है तो एंटी-क्लॉकवाइज दबाया जाता है। इसके अलावा, प्रेस और रिलीज तकनीक भी अपना सकते हैं यानी कुछ देर के लिए पॉइंट को दबाएं, फिर छोड़ दें। ऐसा बार-बार करने से सभी पॉइंट्स एक्टिव हो जातें हैं।
शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं। एक्युपंक्चर का एक सेशन 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पर पंक्चर किया जाता है। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता है। आमतौर पर 3-4 सेशन में असर दिखने लगता है और 15-20 सिटिंग्स में पूरा आराम आ जाता है। हालांकि इलाज लंबा भी चल सकता है। एक सिटिंग के 500 से 1000 रुपये तक लिए जाते हैं। अच्छे डॉक्टर इलाज से पहले इलेक्ट्रो मेरिडियन इमेजिंग (ईएमआई) टेस्ट करते हैं, जिसमें एनर्जी लेवल और पॉइंट्स की जांच की जाती है।
एक्यु योग भी जानें
एक्युपंक्चर पॉइंट्स के साथ मिलाकर योग किया जाए तो एक्यु योग कहलाता है।
एक्यूप्रेशर फुट मैट पे 10 से 15 मिनट नंगे पैर चलने से तलुवों में मौजूद पॉइंट्स दबते हैं, जिससे खून का दौर बढ़ता है। इससे थकान और तनाव कम होता है और पैरों, घुटनों व शरीर के दर्द में राहत मिलती है। जो लोग फुट मैट पे नंगे पांव नहीं चलना चाहते, वे सरसों या किसी भी तेल से तलुवों की जोर-जोर से तब तक मसाज करें, जब तक कि उनसे गर्मी न निकलने लगे। घुटने दर्द के रोगियों के लिए एक्युप्रेशर चप्पलें भी बहुत फायदेमंद हैं।
नहाते हुए रोजाना तलुवों को ब्रश से 4-5 मिनट अच्छी तरह रगड़ें। हफ्ते में दो बार सिर की 5-10 मिनट अच्छी तरह से मसाज करें।वैसे तो हमारा शरीर ब्रेन से चलता है,लेकिन एक्यूप्रेशर तकनीक में शरीर तलवों की मसाज व प्रेशर पॉइंट से ठीक होता है। एक्यूपंक्चर और एक्युप्रेशर में होता है फर्क:-
हमारे शरीर में कुछ बिंदु होते हैं, एनर्जी प्रदान करने के साथ ही बायोइलेक्ट्रिकल आवेगों पर प्रतिक्रिया करते हैं। जैसे ही शरीर में मौजूद इन बिंदुओं पर किसी भी तरह का दबाव डाला जाता है, तो एंडोर्फिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है। इससे दर्द कम होता है, ऑक्सीजन का प्रवाह शरीर में बढ़ जाता है। अक्सर लोग एक्यूपंक्चर और एक्युप्रेशर (acupressure) को एक ही समझ बैठते हैं, पर ऐसा नहीं है। इन दोनों में सबसे बड़ा फर्क है इनके इलाज का तरीका। एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति में रक्त प्रवाह, ऑक्सीजन और ऊर्जा के जरिए बीमारियों का निदान किया जाता है। एक्यूपंक्चर में जहां शरीर में सुइयां चुभाकर इलाज किया जाता है, वहीं एक्युप्रेशर में उंगलियों द्वारा निश्चित प्वाइंट पर प्रेशर या दबाव का इस्तेमाल किया जाता है। एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति एक्यूपंक्चर से बहुत पुरानी है।
एक्यूपंक्चर के फायदे
– एक्यूपंक्चर के जरिए शरीर को कई फायदे भी होते हैं। इससे प्रतिरोधक क्षमता बूस्ट होती है। मांसपेशियों को आराम मिलता है। तनाव, चिंता या अन्य कोई मानसिक परेशानियों से राहत मिलती है। शरीर का संतुलन बरकरार रहता है।
– पुरुषों में होने वाली इंफर्टिलिटी की समस्या का भी इलाज किया जाता है। फर्टिलिटी की दवाओं से लाभ नहीं मिल रहा है, तो एक एक्युपंक्चर के जरिए इलाज करवा कर देख सकते हैं। एक्यूपंक्चर गर्भधारण करने में मदद करता है। यदि आप गर्भधारण करने के लिए कोई मेडिकल ट्रीटमेंट करवा रही हैं, तो साथ में एक्यूपंचर भी किया जाए तो गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
– एक्यूपंक्चर के जरिए आप इर्रेगुलर पीरियड्स या फिर इससे संबंधित कोई भी समस्या का इलाज करवा सकती हैं। यदि फर्टिलिटी की समस्या है, तो इस चिकित्सा पद्धति के जरिए इलाज करवाकर गर्भधारण भी कर सकती हैं।
किन रोगों को ठीक किया जाता है
एक्युप्रेशर में शारीरिक दर्द, थकान, सिरदर्द, तनाव आदि का इलाज किया जाता है, जबकि एक्यूपंक्चर में गंभीर रोगों का इलाज जड़ से किया जाता है। जहां, एक्युप्रेशर आप घर पर भी किताब से जानकारी लेकर कर सकते हैं, वहीं एक्यूपंक्चर को किसी कुशल डॉक्टर से ही करवाना चाहिए।