पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं रखती है ये निर्जला व्रत, जानें वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का महत्व

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सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखद ग्रहस्थी के लिए दिनभर निर्जला व्रत धारण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत सतीत्व का सूचक होता है और इससे पति-पत्नी के रिलेशन में मधुरता आती है। चलिए फिर जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत कब मनाया जाएगा।

वट सावित्री व्रत 2023 डेट (Vat Savitri Vrat 2023 Date)

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ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा। पंजाब, दिल्ली, ओडिशा, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में इसी दिन मतलब की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। जबकि महाराष्ट्र और गुजरात में यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को किया जाएगा, जो कि इस बार 3 जून को पड़ रहा है।

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वट सावित्री व्रत 2023 अमावस्या मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2023 Muhurat)

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त 18 मई 2023 को रात 9 बजकर 42 मिनट से लेकर 19 मई 2023 को रात 9 बजकर 22 मिनट तक होगा। हालांकि उदयातिथि के द्धारा ये व्रत 19 मई को रखना ही उचित होगा। यदि पूजा के शुभ मुहूर्त की बात की जाएं तो 19 मई को सुबह 07.19 बजे से लेकर सुबह 10.42 तक पूजा करना शुभ रहेगा।

वट सावित्री व्रत महत्व (Vat Savitri Vrat Significance)

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प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब देवी सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु हो गई थी तो मृत्यु के देवता यमराज उनके प्राण लेने के लिए पृथ्वी पर पहुंचे लेकिन वहां पर सावित्री के सतीत्व से प्रभावित होकर उन्होंने उसे दूसरा जीवनदान दे दिया। उसी दिन से इस व्रत को रखने का दौर जारी शुरू हो गया। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा भी की जाती है।

क्यों किया जाता है वट पूर्णिमा का व्रत

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हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाने वाला ये वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ बरगद के पेड़ की पूजा भी करती है। हिन्दू मान्यता अनुसार महिलाएं बरगद के पेड़ की 7 परिक्रमा लगाकर अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार पहली बार यह व्रत महान सती सावित्री ने अपने पति की लंबी आयु प्राप्त करने के लिए रखा था।

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पूजा के बाद खा सकते हैं अन्न

दूसरा तरीका है कि वट सावित्री व्रत के दिन संपूर्ण पूजा ख़त्म होने के बाद आप वट वृक्ष की पूजा में चढ़ाई गई चीजों का सेवन कर सकते हैं। जैसे पूड़ी, पुआ, खरबूजा व आम का मुरब्बा जैसे चीजों का सेवन कर सकते हैं, लेकिन व्रत के समाप्त होने के बाद।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Ghamasan.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।)