महाकाल भक्त शिवराज का भोपाल कलेक्टर को आशीष, कुछ महीनों बाद होगी कौशलेंद्र पर कृपा

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कीर्ति राणा

इंदौर। चार दिन पहले प्रशासनिक सर्जरी का पहला चरण पूरा करने वाली सरकार ने दो दिन बाद ही अपने आदेश में चौंकाने वाला संशोधन कर चौंका दिया है। अब आशीष सिंह भोपाल के कलेक्टर होंगे। इसी तरह इस पद से स्थानांतरित किए गए अविनाश लवानिया को भी जल निगम की अपेक्षा अधिक भारी भरकम सड़क विकास निगम का एमडी पदस्थ कर दिया है।यह भी संयोह है कि नगर निगम आयुक्त रहे लवानिया ने वहां निगमायुक्त का और अब सौंपा भोपाल कलेक्टर के रूप में आशीष सिंह को दायित्व सौंपेंगे।

आशीष सिंह की कलेक्टर भोपाल के पद पर नियुक्ति एक तरह से उज्जैन में महाकाल लोक के प्रथम चरण को तय समय में मूर्त रूप देने का सरकारी अवॉर्ड भी कहा जा सकता है। यूपी में राम मंदिर के भव्य-दिव्य स्वरूप के मुकाबले ज्योतिर्लिंग महाकाल के महिमा का बखान करने वाले महाकाल लोक का लोकार्पण करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुक्तकंठ से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सराहना कर यह संदेश भी दे दिया था कि शिवराज उनकी भावना मुताबिक काम कर रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव की जमावट के हिसाब से भोपाल जिले के लिए यह ‘शिवाशीष’ भी है।

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यहां कलेक्टर रहे अविनाश लवानिया को जल निगम की जिम्मेदारी सौंपना भाजपा के विभिन्न खेमों में इसलिए भी चर्चा का विषय बन गया था कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से रिश्तेदारी के चलते उन्हें किसी भारी भरकम विभाग दिए जाने की उम्मीद थी। मनीष सिंह के स्थान पर इंदौर के लिए नाम तो उनका भी चर्चा में था, लेकिन दोनों शक्ति केंद्रों में चलने वाली खटपट को समझने वाले जानते थे कि ऐसा नहीं होगा,किंतु लवानिया की अनदेखी करना भी सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा… वही हुआ भी, आशीष सिंह को भोपाल तो लवानिया के भी आदेश में संशोधन कर सड़क विकास निगम जैसा महत्वपूर्ण पद मिल गया है, अब जल विकास निगम का प्रबंध संचालक एस. विश्वनाथ को बना दिया है वो पहले पर्यटन विकास निगम एमडी थे।

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अब रहे कौशलेंद्र विक्रम सिंह जिन्हें चार दिन लवानिया के स्थान पर कलेक्टर भोपाल पदस्थ किया गया था, उन्हें वापस ओंकारेश्वर में चल रहे आदि शंकराचार्य प्रोजेक्ट को पूरा करने खंडवा भेज दिया है। दो ही दिन में इस आदेश में संशोधन की वजह यदि आरएसएस का दबाव बताया जा रहा है तो यह सही इसलिए भी है कि उज्जैन में महाकाल लोक की तरह ओंकारेश्वर का यह आदि शंकराचार्य प्रोजेक्ट भी मालवा-निमाड़ की विधानसभा सीटों के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की धर्म आधारित राजनीति में मील का पत्थर साबित होना ही है। कौशलेंद्र सिंह इस प्रोजेक्ट के भूमिपूजन से ही जुड़े हैं। अन्य अधिकारी को इस समझने, तालमेल बैठाने में ही कुछ महीने लग जाते, संघ की मंशा है कि आचार संहिता लगने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका लोकार्पण हो जाए। इस प्रोजेक्ट को संघ मंशानुसार अंजाम देने वाले कौशलेंद्र सिंह को भी निकट भविष्य में बड़ा दायित्व मिलना भी तय है।