आज से माघ मास की शुरुआत हो चुकी हैं। कहा जाता है कि हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से ये वर्ष का ग्यारहवां महीना है। इसका काफी ज्यादा महत्व भी माना गया है। बता दे, माघ शब्द माध से बना है जिसका संबंध श्रीकृष्ण के माधव स्वरूप से है। इसलिए इस महीने को काफी ज्यादा पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता हैं। ये माघ मास 27 फरवरी को ख़त्म हो जाएगा। कहा जाता है कि इस महीने में गंगा स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। आज हम आपको इस महीने से जुडी एक पौराणिकथा महत्व बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं –
पौराणिक महत्व –
बता दे, माघ मास में संगम पर कल्पवास करने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि इसे करने से व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है। वहीं ये भी मान्यता है कि जो भी इस माह स्नान, दान, और जप,तप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। खास बात ये है कि पद्मपुराण के अनुसार ऐसे पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। ऐसे में अगर आप भी पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं तो इस महीने सुबह जल्दी उठकर स्नान में पानी में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान करें। ऐसा करने के साथ माघ के महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा से विशेष लाभ होता है।
खान-पान में बदलाव –
इस माघ मास में गर्म पानी को धीरे-धीरे छोड़कर सामान्य जल से स्नान करना शुरू कर देना चाहिए। दरअसल, इस महीने से भारी भोजन छोड़कर सादा भोजन करना चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने में तिल और गुड़ का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है। इसलिए इस माह में सिर्फ एक समय भोजन करने से आरोग्य और एकाग्रता की प्राप्ति होती है।