गुरुनानक जयंती पर प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक हिल्स का नाम बदलने के लिए विवाद शुरू हो गया। प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने मांग किया है कि ईदगाह हिल्स का नाम बदल कर गुरुनानक टेकरी किया जाये। उन्होंने अपनी बात को मजबूत करने के लिए 500 साल पुरानी कथा का सहारा लिया। यह कथा इस जगह के लिए काफी प्रचलित है और जिस के कारण यह जगह बहुत ही मशहूर है।
प्रचलित कथा के अनुसार 500 साल पहले गुरुनानक देव भोपाल की ईदगाह टेकरी पर आये थे। उन दिनों गुरुनानक देव भोपाल की जिस जगह में रुके थे वहां पर आज भी उनका टेकरी साहिब गुरुद्वारा है। यह जगह ईदगाह हिल्स पर है।
गुरुनानक टेकरी की कथा
जानकारी के अनुसार, 500 साल पहले अपनी भारत यात्रा के दौरान वो भोपाल आये थे। तब वो इस ईदगाह टेकरी पर रुके थे। इस दौरान यहाँ पर एक कुटिया में गणपतलाल नाम का आदमी रहता थ, जिसको कोढ की बीमारी थी। वो पीर जलालउद्दीन के कहने पर गुरुनानक देव से जाकर मिला और उसने गुरुनानक देव के चरण पकड़ लिया। इसी स्थान पर गुरुनानक देव ने गणपतलाल को उसकी बीमारी से मुक्त किया।
बाद में गुरुनानक देव ने अपने शिष्यों को पानी लाने का आदेश दिया। लेकिन उनके शिष्यों को आस पास कहीं पानी का स्रोत नहीं मिला और वो गुरुनानक देव के पास वापस आ गए। फिर बाद में गुरुनानक देव ने फिर से पानी लाने को भेजा तो इस बार वो पहाड़ी से नीचे उतरे तो उन्हें वहां एक जल स्रोत बड़ी ही आसानी से मिल गया। इस जल को गुरुनानक देव ने गणपत के शरीर पर छिड़का तो वह बेहोश हो गया। उसके बाद जब गणपतलाल को होश आया तो देखा की गुरुनानक वह नहीं थे, वहां पर सिर्फ उनके चरण थे और गणपतलाल का कोढ़ भी दूर हो चुका था।
फिर सरदार गुरुबख्श सिंह ने नवाबी रियासत में ही इस जगह को गुरुद्वारा बनाने के लिए ले लिया था। आज भी वह पर गणपतलाल की कुटिया स्थली, जल स्रोत कुंड व चरण चिह्न मौजूद हैं।