अलका रागिनी
ना अच्छा ना बूरा, जिस प्रकार सुबह के बाद शाम फिर रात फिर भोर का आना होता है. वैसे ही जीवन का हर काल परिवर्तनशील ही है. जब हम अनुकूलता के आने पर उसका उपयोग करना सीख लेते हैं. तो प्रतिकूलता में थम कर खड़े रहने की ताक़त मिलने लगती है. हमारे जीवन का जो भी समय हमें अनुकूल लगे. बस उसका लाभ लेकर हम अवश्य ही विपरीत परिस्थितियों में दृढ़ता से खड़े रह सकते हैं. जिस प्रकार जीवन उपयोगी बन सके. अपने लिए एवं दूसरों के लिय वो कार्य करते जायें. अपने भीतर के आध्यात्मिकता को अगर हम जागृत कर सकें. तो अपने जीवन में एक अपूर्व शांति एवं शक्ति का अनुभव हम कर सकेंगे. आध्यात्मिक विचार ना सिर्फ़ हमारा पथ प्रकाशित करते हैं. बल्कि अध्यात्म की तरंगें पूरे वातावरण को प्रभावित करती हैं. अर्थात जीवन की वो प्रत्येक क्रिया जो हमें प्रतिकूलता में सबलता प्रदान करें. हम उसे जीवन में शामिल करें. आध्यात्मिक विचार एवं चिंतन के लिए. रोज़ किसी आध्यात्मिक ग्रंथ का अध्ययन हो. ईश्वर के जिस नाम में श्रद्धा हो उसका उच्चारण हो. रोज़ कुछ सही,सार्थक एवं सकारात्मक बातों का श्रवण हो. अवश्य ही हमारे जीवन में परिवर्तन आएगा. जीवन विपरीत परिस्थिति में भी साहस के साथ खड़ा रह सकेगा. जीवन की घटनाएँ हमें कम विचलित करेगी. बस हमें अपनी अनुकूलता का सदुपयोग करना होगा. जहाँ से हम एक निरंतर की प्रसन्नता को जीवन में ला सकेगे. एक प्रेरणा, एक दृढ़ मनोबल, एक सुदृढ़ विश्वास. एक अटूट श्रद्धा, ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण का भाव, जहाँ से जीवन में प्रकट होगा, वो अध्यात्म पथ है।