ज्ञान ऐसा हो जो पढ़ने और सुनने वालो को सरलता से समझ आये

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जो मेरी भाषा में अत्यंत सरलता से मेरे लिए लिखा हो वही मेरे लिए ज्ञान है। जो सिरे से ही समझ में ना आए वो ज्ञान नहीं होता और अगर किसी और के लिए होता भी है तो मेरे किस काम का।

मैं अपने मित्रो से, परिचितों से, मोटिवेशनल स्पीकरों से, मीडिया से, विज्ञापनों आदि से कुछ महान लेखकों और कतिपय महान पुस्तकों के बारे में अपने बचपन से ही सुनता आ रहा हूँ। उनके द्वारा लिखे गूढ़ ज्ञान की महानता के बारे में यह कह कर दावा किया जाता है कि यह ज्ञान आपको सत्य या ईश्वर या सद्गति की ओर ले जाएगा और यह इतना अद्भुत लेखन है कि जब भी पढ़ो कुछ नया समझ में आता है। इसको समझ पाना आसान नहीं है, यह महान है।

आप भी किसी ऐसे महान लेखक के या किसी अदभूत पुस्तक के प्रशंसक या (अंध) भक्त होंगे, तो मुझे उसके बारे में बताईये, मुझे भी भक्त बनना तो है, लेकिन मेरे लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि किसी के लिखे को पहली बार पढ़ने पर शायद रत्ती भर समझ आए और दोबारा, तिबारा, बार-बार, हर बार पढ़ने पर कुछ नया समझ आये। यह अद्भुत और अलौकिक है, एक बार सुनने में बहुत महान भी लगता है। लेकिन क्या यह भ्रम पैदा नही करता। लिखने वाले ने स्पष्ट कुछ लिखा नहीं, पढ़ने वाला अपनी समझ अनुसार उसका मतलब निकालता रहे। अब मुझे यह बताए कि यदि पढ़ने वाले को ही अपनी समझ अनुसार मतलब निकालना है तो उस ज्ञान को लिखने का क्या औचित्य रह जाता है ।

क्या कोई डॉक्टर इसलिए महान हो सकता है कि उसके द्वारा गूढ़ भाषा में लिखे गए दवाई के पर्चे को पढ़कर हर केमिस्ट अलग दवाई देगा। क्या कोई इंजिनियर इसलिए महान माना जा सकता है कि उसके द्वारा बनाई डिजाइन को समझना बहुत मुश्किल है और हर ठेकेदार एक अलग ही तरह की बिल्डिंग बनाकर देगा। वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं होता है और ऐसा होना भी नही चाहिए। दवाई के सही पर्चे या सही डिजाइन के मायने स्पष्ट और एक ही अर्थ वाले होना चाहिए l इसके अर्थ को पढ़ने वाले की समझ पर नहीं छोड़ा जा सकता। फिर स्पष्ट समझा ना जा सके या सहजता से एक ही मतलब नहीं निकाला जा सके ऐसा लिखने वाले को महान लेखक क्यों समझा जाता है। मेरी समझ में कोई कारण नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें महान समझा जाता है।

मान लीजिए कोई एक प्रसिद्ध लेखक (गुरुजी) हैं जिन्होंने ऐसा कुछ लिखा है जिसका अर्थ समझना आपकी समझ के परे है। आप उनके भक्तों से कहते हैं कि गुरुजी द्वारा इस लेखन में उपयोग किये गए शब्दों या चिन्हों का समुचित मतलब आपको पता नहीं है तो उनके भक्त आपसे कहेंगे कि आपको नहीं पता इसका मतलब यह तो नही है कि इनका कोई मतलब है ही नहीं। आप इसको पढ़ते रहिए, कभी ना कभी तो इसका अर्थ समझेंगे । और जब समझ जाएंगे तो एक ऐसा चमत्कार होगा जो आपका जीवन बदल देगा। लेकिन अभी आप उस स्तर तक नहीं पहुंचे हैं की गुरुजी के लिखे को समझ पाए। इसको बार बार पढ़िए, सोचिए, विचारिये, चिंतन कीजिए जैसे जैसे आपके चिंतन का स्तर बढ़ता जाएगा आपको समझ में आना शुरू हो जाएगा और एक दिन आपको इसका अर्थ समझ में आएगा, अवश्य आएगा।

अब ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे, भक्तों की भीड़ के सामने अपना स्तर ऊंचा रखने के लिए, अपने आप को विद्वान साबित करने के लिए आप इस लेखन को समझ जाने का दिखावा करेंगे और दूसरे अज्ञानीयों से कहेंगे कि गुरुजी ने लंबे शोध और कठिन तपस्या में अपना पूरा जीवन लगाकर उपरोक्त मंत्र या गुप्त सूत्र प्राप्त किया है, आप इतनी जल्दी कैसे समझ जाएंगे, अभी आपका लेवल नहीं है इन प्रतीकों की पहचान कर इस सिद्धांत को समझना। वस्तुत: यह बहुत ही गूढ़ है और हर किसीके बस का नहीं है। यह इस संसार की मान्यताओं से परे है, और भी इसी तरह के अन्य तर्क गढ़कर आप भी महान भक्तों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे। आप ही की तरह जब बहुत सारे लोग इस तरह की बात कहेंगे तो और भी लोग मानने लगेंगे कि वो स्वयं एक साधारण अज्ञानी मानव हैं जिन्हें लेखक (गुरुजी) की शरण में जाना चाहिए ।

यदि लेखक के अनेकों भक्त लगातार यह सब तर्क देंगे तो क्या आप लेखक को महान मान लेंगे ? शायद हां या शायद ना, यह आपके ऊपर निर्भर करता है। आपकी बौद्धिक क्षमता पर निर्भर करता है।

इसी तरह ये तथाकथित महान पथ प्रदर्शक, भ्रमित करने वाले अस्पष्ट लेख लिखकर आपको राह दिखाने का पुरजोर दावा करते है। यदि आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके स्वयं रास्ता खोजकर मंजिल तक पहुंच गए तो उनकी वाह वाही, और भटक गए तो आपकी नादानी कि आप इतने तुच्छ है कि उनके लिखे को समझ ही नहीं पाये। वो महाज्ञानी इतना महान लिखते हैं कि उनके लिखे को समझने के लिए आपकी पूरी जिंदगी भी कम पड़ेगी, आप तथाकथित अज्ञान के जंगल में भटकते रहिए उनकी महानता के जेरेसाये ।

सीधे सीधे समझ में आये वैसा ना लिखकर कुछ भी समझ ना आये ऐसा लिखना, क्या यह वास्तविक महानता है। यदि आपको वाकई ज्ञान मिल चुका है तो सीधे सीधे समझ में आ जाये ऐसा क्यों नही लिखते भाई।

वैसे भी सत्य का एक ही मतलब होता है । 2+2= 4 ही होता है, लेकिन इसकी बजाय अंडररूट 4 प्लस अंडररूट 4 या लॉग(100) या [(अंडररूट 121) माइनस (3 स्क्वेयर) गुणित (अंडररूट 4)] या और भी कोई इसी प्रकार की अन्य कोई गणितीय इक्वेशन जो सामान्य व्यक्ति से हल ना हो सके, औसत व्यक्ति के ज्ञान से परे हो, इस तरह लिखकर इसको क्लिष्ट बनाने में महानता है तो इसको महान समझने वालों के सामने मैं नतमस्तक हूं।