एकदंत संकष्टी चतुर्थी कल यानि कि 29 मई शनिवार को ज्येष्ठ माह की तृतीया तिथि को मनाई जाएगी। इसका हिन्दू धर्म में काफी ज्यादा महत्व है। ये संकष्टी चतुर्थी सर्वप्रथम पूज्य गणेश भगवान को समर्पित मानी जाती है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश इस व्रत को करने वाले सभी जातकों के जीवन के कष्ट हर लेते हैं और उनके बिगड़े हुए काम भी बनाते हैं। गणेश जी को हिन्दू धर्म में सबसे प्रमुख देवताओं में गिना जाता है।
गणेश की आराधना हर शुभ काम के लिए की जाती है माना जाता है उनके आशीर्वाद के बिना शुभ काम अधूरे रह जाते हैं। भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आपको बता दे, इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग भी लग रहे हैं. ये योग हैं- शुभ और शुक्ल योग। शुभ योग सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक है. इसके बाद शुक्ल योग है। आइए जानते हैं व्रत का मुहूर्त और पूजा विधि –
शुभ मुहूर्त –
ब्रह्म मुहूर्त- 03:35 सुबह से 04:17 सुबह तक.
अभिजीत मुहूर्त- 11:18 सुबह से 12:13 शाम तक.
विजय मुहूर्त- 02:01 दोपहर से 02:55 दोपहर तक.
गोधूलि मुहूर्त- 06:19 शाम से 06:43 शाम तक.
अमृत काल- 01:40 दोपहर से 03:08 दोपहर तक.
निशिता मुहूर्त- 11:25 रात से 12:06 प्रातः मई 30 तक.
चन्द्रोदय मुहूर्त: रात 10 बजकर 30 मिनट.
पूजा विधि –
आपको बता दे, इस चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें। वहीं आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करे। उसके बाद गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं। इस दिन का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है। साथ ही चंद्रमा दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत पूर्ण माना जाता है। बाद में व्रती व्रत का पारण कर सकता है।