निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भैया का संकट अब तक टला नहीं, अब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की राह में आदिवासी संगठन जयस आ गया है। जयस ने घोषणा की है कि वह खंडवा लोकसभा के उप चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगा। संगठन ने कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई जोबट से भी प्रत्याशी उतारने का एलान किया है। जयस के मैदान में आने से हालांकि कांग्रेस के साथ भाजपा को भी नुकसान हो सकता है लेकिन कांग्रेस ज्यादा घाटे में रह सकती है। जयस के डा. हीरालाल अलावा कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते थे। इस समय भी वे पार्टी के विधायक हैं। जयस की घोषणा से अरुण यादव के सामने एक और चुनौती सामने आ गई है। कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी पहले ही खंडवा से किसी आदिवासी को टिकट देने की मांग कर चुकी हैं।
कांग्रेस और भाजपा के माथे पर बल-
उपचुनाव से पहले जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन अर्थात जयस की सक्रियता ने कांग्रेस और भाजपा के माथे पर बल ला दिया है। मालवा अंचल की दो सीट्स पर जयस अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। लिहाजा, खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा सीट पर जय आदिवासी युवा संगठन सक्रिय हो गया है। इन दोनों सीटों में आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। खंडवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 4 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। खास बात यह है कि इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा आदिवासी मतदाता हैं, जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं।
कांग्रेस से समझौते की गुंजाइश-
हाल ही में महू में जयस के प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से निलंबित किए गए पटवारी नीतेश अलावा को जोबट सीट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस के विधायक और जयस को खड़ा करने वाले हीरालाल अलावा का कहना है कि खंडवा और जोबट उपचुनाव जय आदिवासी युवा संगठन पूरी ताकत से लड़ेगा। अलबत्ता कांग्रेस यदि युवा आदिवासी को मौका देती है तो मिलकर चुनाव लड़ने पर भी विचार किया जा सकता है। साफ है कि कांग्रेस के साथ समझौते की गुंजाइश बनी हुई है।
पत्नी के लिए लगातार सक्रिय हैं शेरा –
निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने अब तक हथियार नही डाले हैं। वे अपनी पत्नी जयश्री सिंह ठाकुर को खंडवा से टिकट दिलाने के लिए लगातार सक्रिय हैं। शेरा का दावा है कि यदि सर्वे के आधार पर टिकट दिया गया तो अरुण कहीं नहीं टिकेंगे, नंबर एक पर उनकी पत्नी ही आएंगी। शेरा दिल्ली जाकर कांग्रेस के हर प्रमुख नेता से मिलकर अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग चुके हैं। चूंकि अब तक कांग्रेस के प्रति उनकी निष्ठा संदिग्ध रही है, इसलिए कांग्रेस नेतृत्व उन पर भरोसा करेगा, इसकी उम्मीद कम है।
दिनेश निगम ‘त्यागी’