Karwa Chauth 2023: पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही महिलाएं, इस तरह करें चांद की पूजा, मिलेगा दुगुना फल

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Karwa Chauth Vrat 2023: हिंदू ग्रंथों में सुहागन महिलाओं को अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करने की विशेष महिमा बताई गई हैं। वहीं करवा चौथ का व्रत हर विवाहित स्त्री अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए इस व्रत को धारण करती हैं अर्थात रखती हैं। साथ ही यह व्रत प्रत्येक विवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत ही शुभ फलदायी माना जाता हैं। खास कर इस व्रत को दिल्ली, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रखा जाता है। लेकिन अब देशभर में इस व्रत का क्रेज बढ़ता ही जा रहा हैं। इस व्रत का इतना अधिक महत्व भी इसलिए हैं क्योंकि यह पति की दीर्घायु हेतु रखा जाता है। यह उपवास विवाहित स्त्रियों के पति के साथ साथ इनके सुखी वैवाहिक जीवन हेतु भी रखा जाता हैं। इस बार करवा चौथ का उपवास 1 नवंबर 2023, बुधवार के दिन किया जाएगा। वैसे तो हर प्रत्येक स्त्री के लिए यह उपवास और दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है लेकिन जो औरतें पहली दफा करवा चौथ का उपवास रख रही हैं उनके लिए यह बहुत ज्यादा स्पेशल है। ऐसे में आपको इस उपवास की सटीक और सही पूजन विधि के विषय में कुछ आवश्यक बातें जरूर पता होना चाहिए। चलिए फिर जानते हैं करवा चौथ के उपवास की सही पूजा का सिम्पल एवं आसान तरीका।

करवा चौथ की सही पूजन विधि

करवा चौथ वाले दिन जो सुहागन महिलाएं पहली दफा इस व्रत को रख रही हैं। उन्हें चाहिए कि वह सूर्य के उगने से पूर्व ही सरगी जरूर लें, जो कि सासू अपनी बहु को देती है। अगर सास नहीं है तो जेठानी या ननद भी सरगी दे सकती हैं। वहीं सरगी को स्नान आदि से निवृत्त होकर आए सुथरे कपड़े पहनकर ही खाया जाता है। इस बीच सरगी में मिलने वाली वस्तुओं का सेवन किया जाता है और फिर पूरा दिन अनाज और पानी किसी भी चीज का आहार नहीं लिया जाता हैं।

इसके बाद फिर सूर्योदय के बाद घर के मंदिर गृह को साफ सुथरा कर पूजा की व्यवस्था करें और इसके लिए एक आसान पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। इस पर जगत जननी मां गौरी की प्रतिमा विस्थापित करें, उनके साथ जगत पिता भोलेनाथ की प्रतिमा भी स्थापित करें। इसके बाद मां दुर्गा को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं और उनसे विनती करें कि आपका वैवाहिक जीवन सदा के लिए सुखी और खुशहाल बना रहे।

करवा चौथ की पूजा करते समय मिट्टी का करवा पूजा में जरूर रखना चाहिए क्योंकि यह सबसे आवश्यक और जरूरी पूजन सामग्री है। इसलिए मृदा का करवा लेकर आएं और आसान पर रखें। फिर इस करवे पर साथियां बनाएं और पूजन की थाल भरें। यहां ध्यान दे कि पूजा की थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर और घी का दीप अवश्य रखें।

फिर चौथ वाले दिन यदि आपने व्रत रखा है तो संध्या के पहर या चंद्रोदय से कुछ घंटे पूर्व ही पूजा प्रारंभ कर दें। इसके परिणामस्वरूप आराधना के बाद करवा चौथ की कथा जरूर सुनें एवं पढ़ें। आपको बता दें कि बिना कथा पढ़ें या सुनें यह उपवास यह अधूरा माना जाता है।

करवा चौथ के उपवास में छलनी से देखने का भी एक अलग और खास महत्व बताया गया है क्योंकि चंद्रोदय से पूर्व ही छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद अपने पति का चेहरा देखा जाता है। फिर सुहागन औरतें अपने पतियों के हाथ से पानी को ग्रहण कर यह उपवास खोलती है।

इसी के साथ इस दिन सास के लिए पूजन की प्लेट व वस्त्र निकाल कर रखे जाते हैं। जहां थाली में बहुएं करवा, मिठाई, मेवे और खाना रखती हैं। अपनी श्रद्धानुसार बहुएं अपनी सास को वस्त्र व कुछ रुपए देती है। सास भी अपनी बहुओं को अखंड सौभाग्यवती का होने का आशीष देकर उन्हें हर्ष से भर देती हैं।