अपने बयान पर फंसे जावेद अख्तर, घर के बाहर विरोध प्रदर्शन

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मुंबई। बॉलीवुड के मशहूर गायक और लेखक जावेद अख्तर हमेशा ही अपने बयान को लेकर विवादों बने रहते है। जिसके चलते अब एक बार फिर जावेद अख्तर अपने बयान को लेकर सबकी नजरो में आये है। दरअसल, उन्होंने तालिबान की तुलना आरएसएस वीएचपी और बजरंग दल के साथ की है। इसके चलते लेखक के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई है। एक वकील ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी शिकायत की कॉपी को साझा की है।

इस कॉपी को साझा करते हुए उन्होंने लिखा है, ‘मैंने आज जावेद अख्तर के खिलाफ मुंबई पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई है। अपनी इस शिकायत में मैंने कहा है कि लेखक ने आरएसएस वीएचपी और बजरंग दल का जानबूझकर अपमान किया है। उन्होंने आरएसएस वीएचपी और बजरंग दल की तुलना तालिबान से की है, मैंने इस शिकायत को जावेद अख्तर के आवासीय थाने में दर्ज कराया है।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने पुलिस से कहा है कि वो इस शिकायत को एक एफआईआर में जल्द से जल्द तबदील कर दें।’

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बता दें कि, लेखक के इस विवादित बयान के बाद बीजेपी से जुड़े कई युवा नेताओं ने जावेद अख्तर के जुहू स्थित घर पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे। साथ ही प्रदर्शनकर्मियों का कहना था कि, ‘आरएसएस सभी लोगों को बुरे दौर में उनकी मदद करता है। जावेद अख्तर कैसे तालिबान से इसकी तुलना कर सकते हैं। जिस वजह से लेखक को उनके इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।’

दरअसल बीते दिन जावेद अख्तर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना तालिबान से की। उन्होंने कहा कि आरएसएस का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबानियों जैसी ही है। उन्होंने यह भी कहा है कि आरएसएस का समर्थन करने वालों को आत्म परीक्षण करना चाहिए। एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा था कि आरएसएस, विहिप और बजरंग दल जैसे संगठन तालिबान की तरह ही हैं। इनके रास्ते में भारत का संविधान रुकावट बन रहा है। जरा सा मौका मिले तो ये सीमा लांघने में संकोच नहीं करेंगे।

अख्तर ने कहा, ‘यह पूरी तरह से तालिबान बनने का एक तरह से फुल ड्रेस रिहर्सल है। ये तालिबानी हरकतों को अपना रहे हैं। ये एक ही लोग हैं, बस नाम का फर्क है। उनके लक्ष्य और उनके बीच में भारत का संविधान आड़े आ रहा है लेकिन अगर मौका मिले तो ये इस बाउंड्री को पार कर जाएंगे।’ जावेद अख्तर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जो लोग आरएसएस, वीएचपी, बजरंग दल जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, उन्हें आत्मचिंतन की जरूरत है। निश्चित तौर पर तालिबान मध्ययुगीन मानसिकता वाला है, इसमें कोई शक नहीं हैं, वे बर्बर हैं लेकिन आप जिन्हें समर्थन कर रहे हैं, वे उनसे अलग कहां हैं? उनकी जमीन लगातार मजबूत हो रही है और वे अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। इनकी मानसिकता एक ही है।’