Jammu Kashmir Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद चार दिन के भीतर ही आतंकवादियों ने गांदरबल जिले में एक भीषण आतंकी हमला किया। इस हमले में एक डॉक्टर समेत सात लोग मारे गए। आतंकियों ने गुंड इलाके में एक निजी कंपनी के कामकाजी कर्मचारियों पर हमला किया, जो सुरंग निर्माण के कार्य में लगे थे। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है और आतंकियों की तलाश तेज कर दी है।
हमला राजनीतिक दृष्टि से अहम
यह हमला राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिस इलाके में हमला हुआ, वह मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का विधानसभा क्षेत्र है। उमर अब्दुल्ला ने इस क्षेत्र से चुनाव जीतकर सरकार बनाई है, और यह घटना उनके लिए एक चुनौती पेश करती है। जम्मू-कश्मीर में चुनावों के शांतिपूर्ण संचालन के बाद इस प्रकार के हमले से आतंकवादियों के इरादों को लेकर चिंता बढ़ी है।
जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद शांति की उम्मीदें
उमर अब्दुल्ला की सरकार के गठन के बाद, वे राज्य में शांति और विकास की उम्मीदों की बात कर रहे थे। उनका यह कहना था कि जम्मू-कश्मीर के दोनों हिस्सों (जम्मू और कश्मीर) को एक साथ मिलाकर राज्य में समृद्धि और शांति लाएंगे। इसके अलावा, उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी की बात भी की थी।
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने का प्रस्ताव
जम्मू-कश्मीर की सरकार ने इस महीने के शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। अब इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, जिससे पूर्ण राज्य की मांग को लेकर एक नया कदम बढ़ाया जा सकता है। केंद्र सरकार पहले ही इस पर विचार करने की बात कर चुकी है।
आतंकी हमले के पीछे आतंकियों की मंशा
आतंकियों द्वारा किए गए हमलों को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादियों के मंसूबे राज्य में बढ़ती शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से डरने के कारण ऐसे हमले कर रहे हैं। विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया था, और अब आतंकवादियों के हमले का उद्देश्य इस शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विफल करना है।
सीएम उमर अब्दुल्ला की कड़ी निंदा
उमर अब्दुल्ला ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और कहा कि वे पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। उन्होंने बयान में कहा कि इस प्रकार के हमले केवल दहशत फैलाने के लिए किए जाते हैं। वे इस हमले को कायरतापूर्ण करार देते हुए आतंकियों की मंशा को नाकाम करने का संकल्प व्यक्त किया है।
अन्य हमलों में भी गैर-कश्मीरी मजदूरों को निशाना
इस आतंकी हमले के अलावा, पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने कई गैर-कश्मीरी मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाया है। 22 अक्टूबर को राजौरी जिले में एक और आतंकी हमला हुआ, जिसमें एक 40 वर्षीय व्यक्ति की हत्या कर दी गई। इससे पहले, अप्रैल और फरवरी में भी आतंकवादियों ने गैर-कश्मीरी मजदूरों की हत्या की थी। इन घटनाओं में प्रवासी श्रमिकों को जानबूझकर निशाना बनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी हमले की निंदा
इस आतंकी हमले की निंदा चारों ओर से हो रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस हमले की कड़ी आलोचना की और शहीद हुए श्रमिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस हमले को कायराना करार देते हुए इसे निंदनीय बताया और कहा कि इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष तारिक हमीद कारा ने भी हमले पर चिंता व्यक्त की और सरकार से ऐसे बर्बर हमलों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की। इस प्रकार के हमले राज्य में शांति और सुरक्षा की प्रक्रिया को चुनौती देते हैं और आतंकवादियों की मंशा को स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं।