हम सब की है ज़िम्मेदारी, इंदौरी युवा बने देशभक्त और संस्कारी – महापौर पुष्यमित्र भार्गव

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महापौर की क़लम से

नमस्कार इंदौर, विगत सप्ताह रणजीत अष्टमी के पावन महापर्व पर निकली प्रभात फेरी में मैंने इंदौर के युवाओं की भक्ति की शक्ति के साक्षात दर्शन किये। इंदौरी युवा धर्मध्वजा हाथों में लेकर बाबा की भक्ति कर रहे थे, लेकिन घर आकर मैने अखबारों की कुछ ऐसी ख़बरें पढ़ी जिनसे मेरा मन व्यथित हो गया।

नशे में युवाओं द्वारा सड़क पर उत्पात मचाया गया। मादक पदार्थो का सेवन करते युवा पकड़ाए। शराब के नशे में लड़खड़ा रहे युवाओं से शहर हुआ शर्मिंदा। नशे में युवक-युवतियों ने किया हंगामा।

ये कुछ ऐसी सुर्खियां थी जिसे पढ़कर मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या वाकई इंदौर स्वच्छ हो गया है? क्या सांस्कृतिक स्वच्छता में हम अभी भी पीछे ही हैं?

इस सांस्कृतिक स्वच्छता के लिए एक महापौर के रूप में जो आवश्यक तथा वैधानिक क़दम उठाना आवश्यक है उन दायित्वों का निर्वहन तो मैं करूँगा ही किन्तु इसके साथ ही मेरा एक निवेदन इंदौर के समस्त माता-पिता से भी है। हम सभी यह चाहते हैं कि हमारे बच्चों को वो समस्त सुख-सुविधाएं मिले जिनके वो हकदार हैं, अगर किसी कारणवश हमारा बचपन किन्हीं अभावों में भी बीता है तब भी हम यह नही चाहते हैं कि उन अभावों की छाया तक भी हमारे बच्चों पर पड़े ।

एक अभिभावक के रूप में मेरी स्वयं की भी यही सोच है कि मेरी संतान को वे समस्त सुख-सुविधाएं मिले जिनका वो हकदार है, उन्हें वो समस्त स्वतंत्रता, स्वच्छंदता मिले जिनके वे हकदार है, किन्तु मुझे और साथ ही साथ आप सभी माता-पिताओं को इस बात पर गंभीर चिन्तन करने की आवश्यकता भी है कि कहीं हम हमारे बच्चों को ये सुख सुविधाएं देने के नाम पर दिखावे में आकर या तथाकथित मॉडर्न पेरेंट्स बनने के क्रम में कहीं उन्हें नशेखोरी के दलदल में तो नही धकेल रहे हैं या फिर कहीं वे स्वयं या अपने दोस्तों के दबाव में इस नशे की ओर आसक्त तो नहीं हो गए हैं?

आप सभी को यह लग सकता है कि मैं आपकी पेरेंटिंग पर सवाल उठा रहा हूँ या फिर मैं आरोप-प्रत्यारोप की बात कर आप पर दोषारोपण कर रहा हूँ। मैं यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरी इस प्रकार की कोई मंशा नही है वरन मुझे आप सभी की पेरेंटिंग पर गर्व है, तभी तो मैं आप सभी से इस विषय पर बात कर रहा हूँ। कभी-कभी हम लाड़ प्यार में या बच्चों के दोस्तों की बातों में आकर उन्हें लेट नाईट पार्टी की परमिशन दे देते हैं, या फिर आजकल पब, डिस्को तो सामान्य चलन बन गया है, किन्तु असली समस्या की शुरुआत यहीं से होती है। हो सकता है कि हमारे बच्चों के ग्रुप में से ही कोई उन्हें नशे की ओर ले जा रहा हो या फिर कभी-कभी पीयर प्रेशर या कूल दिखने के लिए भी हमारे बच्चें इस नशे की और अग्रसर हो रहे हो।

अब आप सभी को शायद एक जिम्मेदार माता-पिता के रूप में अपने बच्चों की तथा उनके भविष्य की चिंता होने लगी होगी। एक अभिभावक के रूप में मैं आप सभी की मनोस्थिति भली-भांति समझ सकता हूँ। हम सभी को हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इस समस्या का डटकर सामना करना ही होगा। इसके लिए सबसे पहली शुरुआत के रूप में हमें हमारे बच्चों के व्यवहार को ऑब्जर्व करना होगा, अगर कहीं भी कुछ आभास हमें होता है तो हमें खुलकर इस विषय में हमें हमारे बच्चों से बात करना होगी, क्योंकि बड़ी से बड़ी समस्या का हल एक साधारण सी बातचीत से निकल आता है।

हमें हमारे बच्चों को यह बात बताना ही होगी कि नशे की लत किस प्रकार से उन्हें भयानक रोड़ एक्सीडेंट, दोस्तों या अनजान लोगों के साथ लड़ाई, मारपीट, पुलिस केस एवं क्रिमिनल केस में घसीट सकती है, जहाँ अंत में केवल और केवल पछतावा ही रह जाता है।

इस बातचीत के माध्यम से हम उन्हें नशे के दुष्परिणामों से परिचित कराकर इस समस्या का निदान निकाल सकते हैं। अगर समस्या बातचीत से हल होती नही दिखाई दे रही हो तो काउंसलर की मदद ली जा सकती है, क्योंकि टीनेजर्स की उम्र में बच्चों के व्यवहार में आये परिवर्तन सामान्य हैं, इन परिवर्तनों का सामना हमने भी हमारी युवावस्था में किया ही है। इसलिए मैं अपने अनुभवों से आप सभी से यह बात विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हमारे बच्चों को केवल हमारा क्वालिटी टाइम चाहिए न कि यह नशे का दलदल।

मैं यही बात इंदौर के बाहर से इंदौर में आकर अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के माता-पिता से भी कहना चाहता हूँ कि अपने बच्चों से बात कीजिये, बातचीत हर समस्या का समाधान ढूंढ निकालती है। हमें हमारे बच्चों को देशभक्ति एवं संस्कारवान बनाना है जिसके लिए उनका नशे को न कहना अत्यंत आवश्यक है।

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हमें इस बात का विशेष ख्याल रखना है कि बातचीत शांत मन से की जाए न कि उसमें गुस्से को शामिल किया जाए, क्योंकि गुस्सा समस्या का समाधान नहीं करता अपितु समस्या को और अधिक गंभीर तथा उग्र बना देता है। आज का मेरा ये लेख शायद थोड़ा बड़ा हो गया है, किंतु इस विषय की गंभीरता को देखते हुए इस विषय पर विस्तार से बात करना आवश्यक थी।

साथियों! मुझे पूर्ण विश्वास है कि पूर्व की तरह ही आप इस विषय में भी हमारा साथ देकर इस समस्या का समाधान निकालकर इंदौर शहर के युवाओं को एक जिम्मेदार युवा बनाएंगे। एक ऐसा युवा जिसके जीवन में नशा नाम का शब्द कदापि नही रहेगा।

धन्यवाद!

आपका मित्र
पुष्यमित्र भार्गव
महापौर, इंदौर