प्रभु की शरण, गुरु के चरण और धर्म का स्मरण जरूरी : आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा

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  • यशवंत निवास रोड़ स्थित राणीसती मंदिर में श्रावक-श्राविकाओं ने लिया प्रवचनों का लाभ, आज भी जारी रहेगी प्रवचनों की श्रृंखला

इन्दौर : जीवन में कुछ समय बीतने पर हम मकान बदल लेते हैं , कार बदल लेते हैं, मोबाइल बदल लेते है यहाँ तक की कपड़े भी हम रोज ही बदलते हैं क्या कभी हमने बार बार जन्मने और मरने कि पुनरावृत्ति में परिवर्तन लाने के बारे में विचार किया। यह यात्रा हमारी निरंतर चल रही है। जीवन और मरण की इस पुनरावृत्ति में परिवर्तन लाना है तो हमें तीन बात जीवन में नहीं छोडऩी चाहिए एक प्रभु की शरण, दूसरा गुरु के चरण और तीसरा धर्म का स्मरण। ये बातें हमारे जीवन में आ गई तो हमारे जीवन और मरण कि पुनरावृत्ती खत्म होगी और परिवर्तन होगा।

उक्त विचार यशवंत निवास रोड़ स्थित राणी सती मंदिर में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने सभी जैन धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे अपने प्रवचनों में कहा कि सुख व दु:ख देने की ताकत एकमात्र परमात्मा में है यदि इस संसार सागर से तिरना है तो परमात्मा कि शरण का सहारा लेना होगा। देव तत्व, गुरु तत्व और धर्म तत्व में से श्रेष्ठ गुरु तत्व होता है। गुरु कृपा से ही प्रभु मिलते हैं। हमारे जीवन में अगर धर्म है तो हमारा कल्याण होगा। हमारी जीवन रूपी घड़ी में घंटे का कांटा हम हैं, मिनट का कांटा गुरु और सेकंड का कांटा प्रभु हैं।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी एवं अध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा मंगलवार 18 जून को यशवंत निवास रोड़ स्थित राणीसती मंदिर में सुबह 9.15 से 10.15 बजे तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे।