आज की स्पर्धा युक्त जिंदगी में हास्य का स्थान सर्वोपरि है। अच्छा हास्य पाठक के मन को गुदगुदाता है, उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लाता है। इसलिए हास्य का पुट बिखेरते रहिएऔर सबके जीवन में रस घोलते रहिए। उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए सुप्रसिद्ध साहित्यकार नीलम राकेश जी ने। वे वामा साहित्य मंच के कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल थी।यह कार्यक्रम विशुद्ध रूप से हास्य रस पर आधारित था। आनलाइन हुए इस कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन दिया वामा अध्यक्ष अमर चड्डा ने। सरस्वती वंदना प्रस्तुत की निशा देशपांडे ने।
कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ हँसी के ठहाकों के साथ।कोमल रामचंदानी ने रिसेप्शन में ओमीक्रॉन की कमजोरी दर्शाई। यशोधरा भटनागर ने लेनदेन के मज़ेदार प्रसंग सुनाए। बकुला पारीख ने जीजाजी को अच्छे से लपेटा।आरती चित्तौड़ा प्यार में जल भुन जाती है तो मंजू मिश्रा हिंग्लिश की टांग खींचते नजर आई। अंजू निगम फ्रिज खोलने के बाद भूल जाती है कि क्या निकालने आई थी।शीला श्रीवास्तव को शादीशुदा बेटे से शिकायतें ही शिकायतें हैं।
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निधि जैन उदर राम की कहानी सुनाकर सबको गुदगुदा देती है ।ज्योति जैन ने स्त्री का प्रतीक जीभ, व पौरुष का प्रतीक दाँत जो कि बहुमत में होते हैं उन के माध्यम से कविता प्रस्तुत की।विनीता चौहान चाहती हैं कि काश ,तुम मोबाइल का कोई ऐप होते तो कितना अच्छा होता।विनीता शर्मा एक संस्मरण के माध्यम से सबको हंसाती है। इंदू पाराशर का मिनी बस के अंदर का दृश्य हर किसी को हंसने पर मजबूर करता रहा।डॉ निरुपमा नागर ने प्रश्न उठाया कि शादी वादी क्या होती है।
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माधवी जैन को तो सुबह स्वयं आंखें मलते हुए दिखाई दी।शिरीन भावसार ने दास्तान ए तस्वीर दिखाई।शांता पारीख ने मालवी भाषा में ख़ूब हँसाया। संगीता परमार ने मेढ की घास लघुकथा से सबको गुदगुदा दिया।उषा गुप्ता ने जनार्दन शर्मा की कविता इम्यूनिटी वाला दूध सुना कर लोटपोट कर दिया। निरूपमा त्रिवेदी ने उड़न तश्तरी के माध्यम से हास्य व्यंग्य पेश किया। अमर जी और आशीष जी ने भी हँसी के फव्वारे छोड़े। संचालन किया शैली बक्षी खड़कोतकर ने और आभार व्यक्त किया उषा गुप्ता ने।