इंदौर. शिक्षा तो उस धागे के समान हैं जो तमाम मोतियों को एक माला के रूप में पिरोकर एक सुंदर आभूषण का निर्माण करती है। शिक्षा के बिना एक सभ्य समाज की कल्पना करना मुश्किल है क्योंकि देश की तरक्की में एक सभ्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान होता है और उस सभ्य समाज का निर्माण बेहतर शिक्षा से संभव है। शिक्षा व्यवसाय नहीं है और इसे व्यवसाय समझना सबसे बड़ी गलती है शिक्षा तो सेवा का मार्ग है जिस पर एक शिक्षक चलकर आने वाली पीढ़ी को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालकर शिक्षा के उजाले में लाता है। हर किसी को अपने प्रोफेशन में कार्य करना अच्छा लगता है लेकिन शिक्षक का प्रोफेशन कभी भी हमें निराशा नहीं देता है हम अपने स्टूडेंट में भी अपनी आशाएं ढूंढ सकते हैं। यह बात शहर के मशहूर शिक्षाविद नरेंद्र कुमार धाकड़ ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही उन्होंने शहर के कई प्रतिष्ठित कॉलेज मैं कई बड़े पदों पर अपनी सेवाएं दी है और वर्तमान में वह श्री जैन दिवाकर महाविद्यालय का सफल पूर्वक संचालन कर रहे हैं।
सवाल. आपने शहर के कई बड़े कॉलेज और स्कूल में सेवाए दी है उसके बाद श्री जैन दिवाकर महाविद्यालय की स्थापना कैसे हुई
जवाब. मैने मध्य प्रदेश के कई बड़े कॉलेज में बड़े पदों पर अपनी सेवाएं देने के बाद बेहतर शिक्षा देने के मकसद से मैंने अपने परिवार के साथ मिलकर जैन दिवाकर महाविद्यालय की स्थापना आज से 16 साल पहले 2007 में की थी और वर्तमान में मैं जैन दिवाकर महाविद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। हमारे कॉलेज में लगभग सारे कोर्स में शिक्षा दी जाती है वही हमारे कॉलेज से पासआउट स्टूडेंट देश दुनिया में बेहतर मुकाम पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शहर में आजकल हर गली मोहल्ले में स्कूल और कॉलेज की स्थापना हो गई है जो कि पूरी तरह से कमर्शियल रूप से संचालित किए जा रहे हैं इसी को ध्यान में रखते हुए हमने शहर में कम दरों पर शिक्षा देने के मकसद से कॉलेज की स्थापना की और कॉलेज की ।आज हमारे स्टूडेंट देश दुनिया में बेहतर मुकाम पर सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. शिक्षा के क्षेत्र में आपको काफी लंबा अनुभव है किस तरह के बदलाव आपने इस फील्ड में देखे हैं
जवाब. पहले के मुकाबले स्टूडेंट का हार्ड वर्क कम हो गया है वही स्मार्ट वर्क शुरू हो गया है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि अब बच्चे इतनी मेहनत नहीं करते इस वजह से उनके एजुकेशन का स्तर भी गिरा है। लाइफ में किसी भी बेहतर मुकाम को हासिल करने के लिए आपको भाषाओं का ज्ञान होना बहुत ज्यादा जरूरी है इसी के साथ आप जिस फील्ड से हो उसमें पारंगतता और आपकी अच्छी पकड़ होना जरूरी है जो कि आजकल बहुत कम देखी जाती है। पहले के मुकाबले अब स्टूडेंट में लो फील्ड में ज्यादा रुचि दिखाई दे रही है वही मैनेजमेंट में और अन्य फील्ड में स्टूडेंट ज्यादा शिक्षा हासिल कर रहे हैं मेडिकल फील्ड शुरू से ही सबकी पसंदीदा फील्ड में से रही है लेकिन इसमें कंपटीशन और डोनेशन के नाम पर भारी-भरकम फीस की वजह से कई लोग इसमें जाना नहीं चाहते हैं। हमें अगर लाइफ में बेहतर मुकाम हासिल करना है तो अच्छी शिक्षा हासिल करना बहुत ज्यादा जरूरी है। पहले के दौर में प्रोफेसर और टीचर अच्छी शिक्षा देते थे आज के दौर में शिक्षा के बजाय अच्छे नंबर दिए जाते हैं शिक्षा नहीं। वही पहले के जमाने में प्रैक्टिकल पर ज्यादा फोकस रहता था जो आजकल लगभग गायब होता नजर आ रहा है।
सवाल. आपने अपनी पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी बीएससी और एमएससी जूलॉजी की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित होलकर साइंस कॉलेज से की है इसके बाद पीएचडी की उपाधि हासिल की। मुझे शुरू से ही शिक्षा में रुचि थी अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने गवर्नमेंट कॉलेज, खरगोन गवर्नमेंट कॉलेज महू, वैष्णव स्कूल, आईके कॉलेज, होलकर साइंस कॉलेज, संस्कृत महाविद्यालय और अन्य महाविद्यालयों में प्रोफेसर ,असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रिंसिपल और अन्य पदों पर अपनी सेवाएं दी है इसी के साथ मैंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के पद पर भी अपनी सेवाएं दी है वर्तमान में मैं श्री जैन दिवाकर महाविद्यालय में चेयरमैन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।