डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के डेटा से स्पष्ट है कि टीकाकरण में भारत ने दिखाए महत्त्वपूर्ण परिणाम

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डब्लयूएचओ और यूनिसेफ का नया डेटा कुछ देशों में टीकाकरण सेवाओं में पुनःप्राप्ति के आशाजनक संकेत दिखाता है। लेकिन, विशेषतौर पर निम्न आय वाले देशों में, कवरेज अभी भी महामारी से पूर्व के स्तर से कम है। यह बच्चों को रोग प्रकोपों के गंभीर जोखिम में डाल रही है। WUENIC की नवीनतम रिपोर्ट दर्शाती है कि बच्चों के टीकाकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्वता, निवेश और निरंतर प्रयासों के उल्लेखनीय नतीजे निकले हैं। 2022 में भारत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को सफलतापूर्वक कम करके 1.1 मिलियन तक ले आया है, 2021 में यह संख्या 2.7 मिलियन थी, 1.6 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को जीवन-रक्षक टीके भी लगाए।

यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मेककेफरी ने कहा, ‘ नियमित टीकाकरण कवरेज में प्रगति भारत में बच्चों के लिए स्वस्थ जीवन की उम्मीद लेकर आई है। यह सरकार के साक्ष्य आधारित कैच-अप अभियानों और प्रभावशाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तथा टीकाकरण संरचना के लाभांश को दिखाती है, जिन्होंने भारत की 2020-2021 में महामारी के समय पिछड़ने से रिकवर करने में मदद की। भारत सरकार की प्रतिबद्वता ने आगे की ओर एक कदम और बढ़ाया व जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम करके 1.1 मिलियन में योगदान दिया। चौथा सघन मिशन इंद्रधनुष जैसे प्रयास व भारत का समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का एक जैसा प्रावधान इस प्रगति को सक्षम बना रहे हैं।’ मेककेफरी ने कहा, ‘ प्रत्येक बच्चे तक पहुँचना वास्तव में संभव है क्योंकि भारत निरंतर रणनीतियों को प्राथमिकता दे रहा है, जैसे कि कैच-अप अभियान। संवेदनशील समुदायों, शहरी गरीबों, प्रवासियों और मुश्किल जगहों पर रहने वाले बच्चों में टीकाकरण से छूट गए बच्चों तक पहुँचने के लिए भारत सरकार के प्रयासों का यूनिसेफ गर्व से समर्थन करता है।’

पहले यूनिसेफ की स्टेट ऑफ द वल्डर्स चिल्ड्रन रिपोर्ट 2023 ने यह स्वीकारा कि भारत उन देशों में से एक है, जहाँ टीके के प्रति भरोसा सबसे अधिक है। यह भारत की सफलतापूर्वक सामाजिक लामबंदी और टीकों के प्रति हिचक को संबोधित करने वाली संचार रणनीतियों व टीकाकरण के महत्त्व में भरोसे के बढ़ने का प्रमाण है।