इंदौर: इंदौर हवाईअड्डा को लेकर हाल ही में सरकार द्वारा ये दावा किया गया है कि पिछले साल में 23 करोड़ से ज्यादा का घाटे के चलते मध्यभारत के सबसे बड़े और एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट इंदौर को शीघ्र ही निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा, इसका खुलासा लोकसभा में एक सवाल के जवाब में विमानन राज्यमंत्री वीके सिंह के लिखित जवाब में हुआ है। बताया जा रहा है कि इंदौर एयरपोर्ट करीब 23 करोड़ के घाटे में चला गया है जिसकी वजह से घाटे को पाटने के लिए सरकार पीपीपी मोड पर संचालन करेगी।
इसको लेकर मंत्री ने सदन को बताया कि, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) ने 19वीं बैठक में इंदौर, अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, रायपुर और त्रिची हवाई अड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत में निजी कंपनियों को सौंपने को ही मंजूरी दी है। पिछले तीन साल में एएआइ ने 50 साल के लिए 6 एयरपोर्ट पीपीपी मोड पर दिए। इनमें अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुअनंतपुरम और मेंगलुरु एयरपोर्ट शामिल हैं।
इस साल इंदौर एयरपोर्ट को 23 करोड़ का घाटा –
इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इस वित्तीय वर्ष में 23 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है। एयरपोर्ट के घाटे का आंकड़ा नगर विमानन मंत्रालय ने जारी किया है। एएआइ के पास देशभर में 136 एयरपोर्ट का स्वामित्व है। इनमें से सिर्फ 10 एयरपोर्ट ही फायदे में हैं।