इन्दौर( Indore News) : इतिहास में अपराजेय योद्धा के रूप में स्थापित भारत माँ के वीर सपूत पेशवा बाजीराव प्रथम की जयंती के अवसर पर आज उनके समाधि स्थल रावेरखेड़ी में भावपूर्ण आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी समाधि स्थल में पहुँचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर खरगोन ज़िले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल, संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद खरगोन गजेन्द्र सिंह पटेल, विधायकद्वय नारायण पटेल एवं सचिन बिरला सहित अन्य जनप्रतिनिधि और बाजीराव पेशवा प्रथम स्मृति प्रतिष्ठान के सदस्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि आज इस पुण्य स्थली में आकर वे धन्य अनुभव कर रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार मेरा आना कठिन था, लेकिन वे ख़ुद को आने से नहीं रोक सके। मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि स्वर्गीय बाजपेयी जी ने कहा था कि यह देश हमारे लिए ज़मीन का टुकड़ा नहीं है अपितु यह माँ का जीवित स्वरूप है। भारत माँ ने अनेक वीरों को जन्म दिया है। बाजीराव पेशवा उन्हीं महान सपूतों में सिरमौर हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत माता का अखंड स्वरूप हमारे लिए वन्दनीय हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्धृत विभाजन विभीषिका दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें खंडित आज़ादी मिली थी।
लवकुश का लाहौर, अधूरा पंजाब, हिंगलाज मैया और ढाकेश्वरी देवी का मंदिर सभी आज हमारी सीमाओं से परे हैं। भारत माँ की रक्षा, एकता और अखण्डता के लिए वीर बाजीराव पेशवा सहित अनेकों वीरों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। मुख्यमंत्री चौहान ने बाजीराव पेशवा के पराक्रम, वीरता और साहस के अनेकों प्रसंगों को दोहराया। उन्होंने कहा कि वीर बाजीराव की वीरता और पराक्रम, युद्ध कौशल और रणनीति का पाठ विदेशों के सैन्य संस्थानों में भी पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि महाराजा छत्रसाल का राज्य उन्होंने युद्ध जीतकर वापस लौटाया। जब उन्होंने दिल्ली कूच किया तो औरंगज़ेब के पोते की घिग्गी बंध गई। बाजीराव पेशवा की वीरता पराक्रम से निज़ाम की घेराबंदी का रणनीतिक कौशल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर के साथ बैठक कर उन्होंने इस वीर भूमि के जीर्णोद्धार और विस्तारीकरण की पूरी रूपरेखा बनायी। उन्होंने कहा कि यहाँ होने वाले सभी निर्माण कार्यों में मराठा शिल्पों का ही उपयोग किया जाएगा। यहाँ आने वाले पर्यटकों और माँ नर्मदा की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिये आश्रय स्थल बनाया जाएगा। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रावेरखेड़ी उनके लिए बेहद भावनात्मक स्थल है। उनके पूर्वजों ने यहाँ बाजीराव पेशवा की समाधि बनायी थी।
मंत्री सिंधिया ने कहा कि इतिहास के मध्यकाल में जब चारों तरफ़ से भारत माँ को घेरने की कोशिश विदेशी आक्रांताओं द्वारा की जा रही थी, तब डेढ़ सौ सालों तक वीर मराठाओं ने भारत भूमि की अस्मिता बचाने का पराक्रम किया। वीर शिवाजी ने मुगलों के सामने कभी घुटने नहीं टेके। अटक से लेकर कटक तक हिन्दवी साम्राज्य का भगवा ध्वज मराठाओं ने फहराया था। सिंधिया ने कहा कि पेशवा का शब्द अंग्रेजों द्वारा बिगाड़ा गया, पेशवा का सही उच्चारण पेशवे होता है।
उन्होंने यह भी आग्रह किया कि रावेरखेड़ी में होने वाले सम्पूर्ण निर्माण में मराठा शिल्प का उपयोग किया जाए और मराठाओं की परंपरा के अनुरूप हर निर्माण का आधार काले पत्थरों से हो। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि रावेरखेड़ी में बाजीराव पेशवा की समाधि स्थल के जीर्णोद्धार और विकास की योजना बनाई गई तब मुख्यमंत्रीजी ने उत्साह और तत्परतापूर्वक उसकी स्वीकृति दी। उनकी मंशा के अनुरूप रावेरखेड़ी नई पहचान बनाने की ओर अग्रसर हो रहा है।
झरोखे से किया माँ नर्मदा का पूजन
खरगोन ज़िले की सनावद तहसील में स्थित रावेरखेड़ी में आज उत्साह और भावनाओं से ओतप्रोत वातावरण था। ग्रामवासियों ने गाँव को भगवा रंग के झंडों से सजाया था। पुण्य सलिला माँ नर्मदा के तट पर स्थित रावेरखेड़ी गाँव में बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि निर्मित है। सन 1700 में आज के ही दिन उनका जन्म हुआ था। महज़ 40 बरस की आयु में समूचे भारत में विजय पताका लहराने वाले बाजीराव की मृत्यु इसी स्थान पर 18 अप्रैल 1740 को हुई थी।
चौथे मराठा छत्रपति शाहूजी महाराज के समय सन 1720 में उन्हें पेशवे अर्थात प्रधानमंत्री का पद दिया गया था। आज जिस छतरी में यह भावपूर्ण आयोजन हुआ उसे वृंदावन भी कहा जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समाधि स्थल पर भगवान शिव का पूजन किया और पेशवा बाजीराव की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अतिथियों ने समाधि स्थल पर बने परकोटे से पुण्यसलिला माँ नर्मदा का दर्शन और पूजन किया।