Indore : मत्स्य पालन विकास के लिए 5 देशों और आठ राज्यों के साथ एमओआई किए साइन

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इंदौर(Indore) : प्रदेश के जल संसाधन तथा मछुआ कल्याण तथा मत्स्य पालन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में मछली पालन क्षेत्र का अहम योगदान है। प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कारगर प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के मत्स्य पालकों के सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के लिये भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

इसके लिये अनेक लाभकारी योजनाएं और कार्यक्रम शुरू कर उनका लाभ मत्स्य पालकों तक पहुंचाया जा रहा है। सिलावट आज यहां प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में संपन्न हुई एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में 5 देशों तथा आठ राज्यों के प्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में मत्स्य उत्पादकों, मत्स्य पालको एवं मत्स्य विक्रेताओं ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, विधायक रमेश मेंदोला, केन्द्र सरकार के मछली पालन विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा, राज्य सरकार के मछली पालन विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की आर. वनिता तथा राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड हैदराबाद के संचालक विजय कुमार भी उपस्थित थे।

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कार्यशाला में प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और मीठे पानी की उत्पादित मछली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के लिए विचार विमर्श हुआ। इस कार्यशाला इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के साथ चर्चा भी की गई। प्रदेश में मीठे पानी में उत्पादित होने वाली मछली की  मार्केटिंग, ब्रांडिंग, और निर्यात के लिए नई संभावना पर भी विचार किया गया। इस कार्यशाला में 5 देशों  जापान, वियतनाम, थाईलैंड, मॉरीशस तथा नेपाल के प्रतिनिधि भी विशेष रूप से सम्मिलित हुए।

इन देशों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार के साथ एमओआई (मेमोरेंडम ऑफ इंटरेस्ट) को साइन किया। इसके अंतर्गत इन देशों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने और उसके उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर करने के लिए उत्साह दिखाया हैं। यह सभी देश प्रदेश में तकनीकी सहयोग देंगे और मार्केटिंग के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।

जल संसाधन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कार्यशाला में कहा कि प्रदेश में मछली पालन विभाग द्वारा अनेक नवाचार शुरू किये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे इन नवाचारों से मछुआ समाज के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के क्षेत्र में लगातार नए प्रयास हो रहे है। मछुआ कल्याण विभाग भी इसमें पीछे नहीं है। इस कार्यशाला से अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुभव से हम परिचित होंगे। प्रदेश में मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेंगे।

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देश में अब नीली क्रांति की शुरुवात प्रदेश से होंगी। ऐसा प्रयास किया जा रहा  है कि मछुआ समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में मत्स्य विकास विभाग महती भूमिका निभाए। कार्यक्रम में संबोाधित करते हुये सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने तथा मछुआरों के समग्र कल्याण के लिये विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। इन योजनाओं के फलस्वरूप मत्स्य उत्पादन में तेजी से वृद्धि हो रही है। मछुआरों को सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा भी मिली है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुये केन्द्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है। इसका बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस योजना के बेहतर लाभ मछुआरों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये विशेष प्रयास हो रहे है। वर्ष 2014 के पश्चात मत्स्य पालन की ग्रोथ में तेजी से वृद्धि हुई है।

2021-22 तक ग्रोथ दर सात प्रतिशत तथा वर्ष 2022 में यह ग्रोथ दर दस प्रतिशत की दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में रोजगार एवं आर्थिक उन्नति की अपार संभावनाएं है। प्रमुख सचिव मत्स्य पालन  कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यशाला में पांच देश जिसमें जापान, वियतनाम, थाईलैंड, मॉरीशस तथा नेपाल के प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए। उन्होंने प्रदेश के साथ एमओआई भी साइन किये हैं। इससे प्रदेश में मछली उत्पादन के साथ मार्केटिंग और निर्यात की नई संभावना पैदा होंगी।

इस कार्यशाला में देश के 8 से अधिक राज्यों के मछली विभाग के संचालक भी शामिल हुए। इन्होंने उनके प्रदेश में किए जा रहे मछली उत्पादन और ब्रांडिंग के कामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मात्स्यिकी कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश में मीठे पानी में उत्पादित मछली को नया बाजार उपलब्ध कराने के लिए भी अलग अलग देशों से आए प्रतिनिधियों के साथ चर्चा और एमओआई पर हस्ताक्षर हुए है। इससे प्रदेश में मछली उत्पादन को दोगुना किया जाने में मदद मिलेंगी। झींगा पालन को भी बढ़ावा मिलेगा और दो साल में झींगा उत्पादन दुगुना बढ़ाया जाएगा।

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में मत्स्य पालकों की नई भूमिका के लिए चर्चा होंगी जिससे रोजगार के नए अवसर तलाश कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाए। मत्स्य बीज उत्पादन और मछली उत्पादन के साथ इसकी प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी प्रदेश निवेश हो रहा है और अभी इस क्षेत्र में निवेश की असीम संभावनाएं है इस क्षेत्र में निवेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीठे पानी की मछली के निर्यात का बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर मछुआरों और मछली पालक की आय में वृद्धि भी होंगी।

कार्यशाला में बताया गया कि प्रदेश में वर्ष 2022 में मत्स्य बीज का उत्पादन 171 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राइ है जिसे वर्ष 2023 तक 200 करोड़ किया जायेगा। जिससे मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा। अच्छी गुणवत्ता के बीज उत्पादित होने से मत्स्य कृषकों को उन्नत बीज उपलब्ध होगा और मछली उत्पादन में गुणात्मक सुधार होंगे। बताया गया कि प्रदेश में अभी तक 43 हजार 500 क्रेडिट कार्ड मत्स्य पालकों के लिये बनाए जा चुके है।

इस कार्यशाला में मत्स्य महासंघ द्वारा मछुआ प्रोत्साहन राशि और आजीविका सहयोग योजना के अंतर्गत 11 करोड़ की राशि का भी वितरण किया गया। प्रदेश में नवाचार के रूप में मार्केटिंग के लिए स्मार्ट फिश पार्लर भी खोले जाएंगे। इसके साथ ही युवाओं को रोजगार के लिए फिश कॉर्नर खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही मछली उत्पादन और विक्रय के लिए मदद करने हेतु युवाओं को 50 मोटरसाइकिल, 100 किसान क्रेडिट कार्ड,अन्य योजना का लाभ भी मछुआ युवाओं को वितरित किये गये।