इंदौर। कान्ह सरस्वती नदी, कपड़ा मिलों की जमीन, हरियाली का सिमटता दायरा और औद्योगिक क्षेत्र में दुषित हो चुके भू-जल जैसे मुद्दे शनिवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बैंच के सदस्य डॉ अफरोज अहमद के समक्ष उठाए गए। मौका प्रेस क्लब में आयोजित संवाद कार्यक्रम का था जिसमे डॉ अफरोज अहमद के समक्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेषज्ञों ने सारगर्भित तरीके से अपनी बात रखी। खास बात यह रही कि ग्रीन एरिया और नदी संरक्षण के मामले में डॉ अफरोज भी पूरी तौर पर सहमत नजर आए।
नदी को नाला बनाने का षडयंत्र
अभ्यास मंडल की और से शिवाजी मोहिते ने कान्ह नदी को बचाने के लिए अभ्यास मंडल द्वारा किए गए कामों का ब्यौरा पेश किया। अभ्यास मंडल के ही नूर मोहम्मद कुरेशी ने आरोप लगाया कि जानबूझ कर शहर की नदी को नाला बताने की चेष्टा की जा रही है। कुरेशी ने यह भी खुलासा किया कि नदी को दोनों छोर में 33 मीटर तक क्षेत्र खुला छोड़ना होता है और नाले के दोनों छोर में 9 मीटर का दायरा छोड़ने का नियम है। अतिक्रमण ना हटाना पड़े इसके लिए अच्छी खासी नदी को नाला बताने का षडयंत्र चल रहा है। कुरेशी ने बताया कि इस संबंध में एनजीटी के समक्ष याचिका भी दायर की चुकी है। डॉ अफरोज ने कहा कि नदी से हमारा जीवन जुड़ा है और उन्हें बचाना हमारा परम कर्तव्य भी है। उन्होंने इस मामले को दिखवाने का आश्वासन भी दिया।
मिल की जमीन पर खड़ा ना हो क्रांक्रिट का जंगल
वरिष्ठ श्रमिक नेता श्यामसुंदर यादव ने इंदौर की कपड़ा मिलों के इतिहास का जानकारी देते हुए कहा कि कभी इन मिलों से इंदौर की पहचान हुआ करती थी। आज लगभग सभी मिल तालाबंदी की शिकार हो चुकी है। हाल ही में कल्याण मिल और मालवा मिल की करीब सवा सौ एकड़ जमीन शासन के अधिन हो गई चुकी है। जैसा की हर सरकारी जमीन पर कब्जे हो रहे है, उन पर बड़ी बड़ी इमारते खड़ी की जा रही है। इन दो मिलो की जमीन पर ऐसा कुछ ना हो। यादव ने बताया कि इन जमीनों पर हजारों की तादाद में पेड़ लगे है। हमारी मांग है कि यह हरियाली कायम रहे ताकि शहर के मध्य एक बड़ा हरित क्षेत्र कायम रहे। डॉ अफरोज ने इस मुद्दें पर भी सहमति जताते हुए कहा कि हरियाली का दायरा घटना सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने इस संबंध में एनजीटी के समक्ष याचिका दायर करने का सुझाव भी दिया।
पौधारोपण व्यवस्थित हो
शिक्षाविद डॉ एसएल गर्ग ने कम होती हरियाली पर चिंता जताते हुए कहा कि विकास के नाम पर जिस तेजी से हरियाली खत्म की जा रही है उतनी मात्रा में पौधा रोपण अथवा पुराने पेड़ों का ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा। यह गंभीर और चिंता का विषय है। डॉ गर्ग ने सुझाव देते हुए कहा कि पौधारोपण के भी कुछ नियम होना चाहिए ताकि शहर में व्यवस्थित रूप से हरियाली को फैलाया जा सके। डॉ अफरोज ने भी माना कि यह सचमुच चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इसकी पहल सभी सामाजिक संगठनों को मिलकर करना होगी।
औद्योगिक क्षेत्र में दुषित हो रहा भू-जल
समाजसेवी अतुल शेठ ने डॉ अफरोज के समक्ष चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इंदौर के औद्योगिक क्षेत्र का एक बड़े हिस्से में भू-जल पूरी तरह से दुषित हो चुका है। यह एरिया पोलो ग्राउंड से सांवेर के कुमेडी तक फैल चुका है। पानी पीना तो दूर इस्तेमाल करने योग्य भी नहीं है। क्षेत्र के श्रमिकों को इस पानी से त्वचा से संबंधी रोग तक होने लगे है। डॉ अफरोज ने इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर पेश करने की बात कही। संवाद कार्यक्रम के आरंभ में प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने विषय की प्रस्तावना रखी। डॉ अफरोज अहमद का प्रेस क्लब की और से स्वागत प्रदीप जोशी, अभ्यास मंडल की और से रामेश्वर गुप्ता और सेवा सुरभि की और से ओम नरेडा ने किया। कार्यक्रम में इंदौर उत्थान समिति के अजीत सिंह नारंग, डॉ दिलीप वाघेला, किशन सोमानी, एनके उपाध्याय, पूर्व डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी, प्रेस क्लब कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, मातृभाषा उन्नयन समिति के डॉ अपर्ण जैन, पत्रकार राजेंद्र गुप्ता, सुनील व्यास सहित अनेक लोग मौजूद थे। अंत में आभार पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने माना।