इंदौर(व्यापार प्रतिनिधि). केंद्र सरकार द्वारा थोक उपभोक्ताओं के लिए भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाने के बाद इसकी कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि आरक्षित मूल्य 2350 रुपये से घटाकर अब 2150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इस के चलते खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के फैसले से कुछ दिन गेहूं की बिक्री में गिरावट आने से इसके दाम फिर से बढ़ गए थे। गेहूं कारोबारी संजीव अग्रवाल बताया कि पिछले महीने खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के फैसले के के बाद गेहूं के दाम 400 रुपये गिरकर 2,550 रुपये तक आ गए थे। लेकिन इस गिरावट के कुछ ही दिन बाद भाव बढ़कर 2,700 रुपये क्विंटल पहुंच गए।
पिछले सप्ताह शुक्रवार को केंद्र सरकार ने थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,350 से घटाकर 2,150 रुपये क्विंटल कर दिया है। इसके बाद से मंडी में गेहूं के दाम घटकर 2,175 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन कहते हैं कि मंडियों में गेहूं के भाव आरक्षित मूल्य घटने से 2,800 रुपये से घटकर 2,325 रुपये क्विंटल रह गए हैं। खुले बाजार में बिक्री से पहले की तुलना में अब तक गेहूं की कीमतों में करीब 900 रुपये क्विंटल तक की गिरावट आ चुकी है। थोक कीमतों में बड़ी गिरावट के बावजूद गेहूं के खुदरा मूल्यों में हल्की ही कमी आई है। बता दें कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक एक सप्ताह के दौरान देश भर में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 33.48 रुपये से घटकर 33.15 रुपये और आटे की कीमत 38.02 रुपये से घटकर 37.63 रुपये प्रति किलो रह गई है।
वहीं आटा भी एक रुपये सस्ता हुआ है।
मुश्किल में गेहूं कारोबारी
आरक्षित मूल्य घटने से अब गेहूं कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि ऊंची कीमत पर खरीदे गए गेहूं की कीमत अब कम मिल रही है जिससे उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा। गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन ने कहा कि कारोबारियों ने बीते कुछ महीनों के दौरान बड़ी मात्रा में 2,800 से 3,000 रुपये के भाव पर गेहूं खरीदा है। जबकि अब इसके भाव गिरकर 2,150 से 2,350 रुपये क्विंटल रह गए हैं। ऐसे में कारोबारियों को 700 रुपये प्रति क्विंटल तक नुकसान होगा। अग्रवाल कहते हैं कि एक दम गेहूं की कीमतों में बड़ी गिरावट से कारोबारियों को चपत लगी है। आगे नई फसल आने से गेहूं के दाम बढ़ने की संभावना भी नहीं है। ऐसे में इस घाटे की पूर्ति होने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है।