Indore : शमशान में गाय के पवित्र गोबर से बने कंडो (Condos) का होगा इस्तेमाल, नगर निगम बनवाएगा गोशाला के गोबर से कंडे

Suruchi
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cow dung condos

आबिद कामदार

इंदौर। गाय के पवित्र गोबर से बने कंडे शमशान में पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करेंगे। साथ ही पर्यावरण को संजीवनी भी देंगे। नगर निगम शहर की गोशाला से निकलने वाले गोबर के कंडे बनवाकर लकड़ी के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है, इसको लेकर नगर निगम में तैयारी और प्लान बनाया जा रहा है। शुरुआत में इसे कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाएगा बाद में कंडो की मात्रा में बढ़त होने पर इसे बढ़ाया जाएगा। लगभग एक चिता को जलाने के लिए औसतन ग्यारह मन लकड़ी की जरूरत होती है। कंडो के इस्तेमाल से इसमें काफी हद तक कमी आयेगी।

इतने पेड़ों की होती है कटाई

एक सर्वे के मुताबिक, हर साल शव जलाने के लिए लगभग 5 करोड़ पेड़ों की कटाई की जाती हैं। वहीं देश के जंगलों के पेड़ो की करीब एक तिहाई लकड़ी की खपत अंतिम संस्कार में हो रही है, गाय के पवित्र गोबर से बने कंडे और लकड़यो का इस्तेमाल इसके लिए काफी फायदेमंद है।

नगर निगम प्लान कर रहा तैयार, कंडो से अर्जित राशि मिलेगी गोशाला को

गाय का गोबर पवित्र होता है, शहर के शमशान में लकड़ी का इस्तेमाल कम हो, इसको लेकर नगर निगम तैयारी कर रहा है, इसी के साथ कंडो से अर्जित राशि गोशाला को दी जाएगी, ताकि वहां की गायों के लिए और बेहतर सुविधा मुहैया हो सके। इससे पेड़ों को कटाई में कमी आयेगी।गोशाला से निकलने वाले गोबर के कंडे बनवाए जाने को लेकर नगर निगम प्लान बना रहा है, इसमें गोशाला से निकलने वाले गोबर को स्वहायता समूह की मदद से तैयार करवाया जायेगा। जिससे शमशान घाट में लकड़ी के उपयोग में कमी आयेगी।

मशीन और जगह देगा निगम

गाय के गोबर को एकत्रित कर उसके कंडे बनाने में लगने वाली मशीन नगर निगम मुहैया करवाएगा, वहीं उन्हें बनाने से लेकर सूखने तक के लिए जगह भी दी जाएगी। ताकि उनमें किसी प्रकार की नमी ना रहे।

गोशाला पर जाकर समूह और अन्य लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

कंडे बनवाने के लिए नगर निगम शहर की गोशाला को मशीन के साथ साथ वहां कार्य के लिए आने वाली महिलाओं के समूह को प्रशिक्षण देगा, इस पर अभी मसौदा चल रहा है कि कंडे बनाकर बेचना कार्य करने वाले समूह के अधीन होगा या उन्हें दिहाड़ी मजदूरी के आधार पर रखा जाएगा।

अभी गोबर का इस्तेमाल होता है खाद के रूप में

अभी गोशाला से निकलने वाला गोबर को ट्रैक्टर या लेबर की मदद से एकत्रित कर उसका इस्तेमाल खाद के रूप में शहर के उद्यानों में किया जाता है। जिससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है।

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