इंदौर। मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर में अंगदान के महत्व और जागरूकता के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य अंगदान से जरूरतमंद मरीज को होने वाले लाभ, इसमें अपनाई जाने वाली प्रक्रिया एवं चुनौतियों और इससे जुड़े मिथकों के बारे में स्पष्टीकरण देना था। कार्यक्रम में अंगदान करने वाले डोनर भी मौजूद थे जिन्होंने अपने परिजनों को अंगदान कर जीवनदान दिया, हॉस्पिटल की तरफ से उनका सम्मान किया गया एवं उनके इस कदम के लिए विशेष आभार प्रेषित किया।
इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन डॉ संजय दीक्षित मौजूद रहे जिन्होंने मेदांता हॉस्पिटल की इस विशेष पहल को सराहा। मध्यप्रदेश SOTTO की टीम के अलावा समारोह में मेदांता के डॉ संदीप श्रीवास्तव (मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियक साइन्स) के साथ अन्य डॉक्टर्स, मेडिकल टीम व अन्य लोग मौजूद रहे। डॉ संदीप श्रीवास्तव, मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियक साइन्स, मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने मरणोपरांत अंगदान के महत्त्व को समझाया एवं अंगदान के दौरान दी जाने वाली प्रशासनिक व सरकारी सेवाओं की जानकारी दी और लोगों को उसकी कानूनी प्रक्रिया से अवगत कराया और बताया कि एक व्यक्ति अपने शरीर के अंगदान द्वारा करीब 9 लोगों को जीवन दे सकता है।
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ जय सिंह अरोरा के मरणोपरांत डोनर के अंगों को सुरक्षित रखने के लिए अपनाई जाने वाली मेडिकल पद्धति एवं बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में लोगों को अवगत कराते हुए कहा “अगर आप अपने अंगों का दान करना चाहें, तो ऐसे लोगों के जीवन को सकारात्मएक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जो कई वर्षों से प्रत्यायरोपण की प्रतीक्षा में हैं।हर वर्ष कई जिंदगियां अंग दान की प्रतीक्षा में ही ख़त्म हो जाती है, इसलिए जरूरी है कि लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करें ताकि लाखों लोगों की जान बच सके। हम शरीर के अंगों और टिश्यू को दान कर सकते हैं. जिनमे लिवर, किडनी, पैंक्रियाज, दिल, फेफड़ा, आंत, कॉर्निया, बोन मैरो और वैस्कुालराइज्ड कम्पो्जिट एलोग्राफ्ट्स, जैसे स्किन, यूटरस, बोन, मसल्सं, नर्व्सक और कनेक्टिव टिशूज शामिल हैं।”