चंडीगढ़ मेयर चुनाव: बहुमत के बाद भी हारा ‘I.N.D.I.A’ गठबंधन, बीजेपी ने कैसे मारी बाजी? जानें बवाल का कारण

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चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में भाजपा ने जीत हांसिल कर विपक्ष के इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। वही अब भाजपा के जीत कि बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सवाल उठाने लगी है। विपक्षी दलों का कहना है भाजपा ने संविधान को लूटा है । इंडिया गठबंधन को ज़्यादा पार्षद होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा।

अपको बता दें चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में बीजेपी के मनोज सोनकर की जीत हुई। मनोज को 16 वोट मिले। कांग्रेस-आप के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले। चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। और इन आरोपों की जड़ में वो आठ वोट भी हैं, जिन्हें चुनाव के पीठासीन अधिकारी ने आमान्य करार दिया है।

बता दें चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के पास 14 पार्षद हैं। सदन में अकाली दल का सिर्फ़ एक पार्षद है। इसके अलावा इस चुनाव में चंडीगढ़ के सांसद को भी वोट करने का अधिकार होता है। ये सांसद बीजेपी की किरण खेर हैं। यानी बीजेपी के 14 पार्षद, एक सांसद और शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद को मिलाकर 16 वोट होते हैं।  आम आदमी पार्टी के पास 13 पार्षद और कांग्रेस के पास सात पार्षद हैं. यानी इंडिया गठबंधन के पास कुल 20 वोट थे।

इंडिया गठबंधन के हार की प्रमुख वजह पीठासीन द्वारा 8 वोटों को अमान्य काराएजाना है । पीठासीन अनिल मसीह ने वोटों को अमान्य करार करने को लेकर कहा कि कुछ मतपत्रों पर निसान पाए गए जिसको लेकर 8 मतपत्रों को निरस्त किया गया है। पीठासीन ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि बूथ कैप्चरिंग और लोकतंत्र पर हमला का आरोप लगाया है।