गुप्त नवरात्रि में इस विशेष आरती से करें मां दुर्गा को प्रसन्न, बिगड़े काम होंगे पुरे

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आज आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है। जो अभी 18 जुलाई तक रहेगी। नवरात्रों में दुर्गा मां और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में आज महाविद्या तारा देवी की पूजा अर्चना की जाती है। महाविद्या तारा देवी को मां काली का स्वरुप माना गया है। वहीं तारा देवी को श्मशान की देवी भी कहा जाता है। इसलिए तारा देवी नर-मुंड की माला पहनती हैं। साथ ही इन्हें तंत्र शास्त्र की देवी माना गया है।

इसलिए कहा जाता है कि आज के दिन मां तारा की पूजा अर्चना और व्रत करने से लोगों के सभी कष्ट दूर होते है। बता दे, तारा देवी के 3 रूप हैं- उग्र तारा, एकजटा और नील सरस्व। इन गुप्त नवरात्रों में गृहस्थ सामान्य तौर पर व्रत और संयम का पालन करके मां दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं। नवरात्रों में दुर्गा मां की कृपा पाने के लिए पूजन का अंत अम्बे मां की आरती से करना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है अम्बे मां की आरती।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुम को निस दिन ध्यावत

मैयाजी को निस दिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवजी ।

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को

उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे

रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी

सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती

कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती

धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे

मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी

आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों

बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता

भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी

मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती

माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती

बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे

कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे

बोलो जय अम्बे गौरी ॥