इंदौर. आज मैं जो काम थैलेसीमिया और अन्य प्रोजेक्ट पर कर रही हूं उसके लिए मुझे शायद नियति ने चुना है। 1996 में मुझे लायनेस क्लब इंदौर ग्रेटर की प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया था। उस समय थैलेसीमिया न्यूली डायग्नोज्ड हुआ था उस दौरान मैंने थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को इससे संबंधित इंजेक्शन और मेडिकल ट्रीटमेंट में मदद की थी। कुछ समय बाद मेरा कार्यकाल पूरा हो गया। लेकिन मेरा यह सफर रुका नहीं थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे मेरे पास आते रहे और मैं उनका ट्रीटमेंट करवाती रही। उसके बाद फिर मैंने यह तय किया कि मैं इसके ऊपर पूर्ण रूप से कार्य करूंगी और मैंने अपने ग्रुप थैलेसीमिया एंड चाइल्ड वेलफेयर ग्रुप की स्थापना की और आज निरंतर इस कार्य को निस्वार्थ भाव से कर रही हूं। यह बात डॉ रजनी भंडारी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं वह शहर में लगभग 28 सालों से थैलेसीमिया और अन्य प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है।
सवाल. आज हमारे ग्रुप में कितने सक्रिय सदस्य हैं और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी
जवाब. मात्र 7 लोगों के ग्रुप से शुरू हुई संस्था में आज शहर के ढाई सौ से ज्यादा सक्रिय सदस्य है। इसी के साथ लगभग शहर के हर सभी समाजसेवी हमारी इस संस्था से डायरेक्टली ओर इनडायरेक्टली रूप से जुड़े हुए हैं। मैंने अपने ग्रुप के साथ मिलकर हमारी संस्था को प्रोत्साहित करने वाली एक किताब खुशबू निकालना शुरू की अखबार और किताब के जरिए शहर में बहुत ज्यादा सराहना मिली और आज हम इस क्षेत्र में बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं। हम थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की हर संभव मदद करते हैं जिसमें उनका ट्रीटमेंट, ऑपरेशन दवाई अन्य चीजों की फैसिलिटी प्रोवाइड करवाते हैं। वही साल में दो बार हम थैलेसीमिया से संबंधित कैंप का आयोजन करते।
सवाल. आपकी एजुकेशन किस फील्ड में और कहां से पूरी हुई है
जवाब. मैं शुरू से ही पढ़ने में बहुत ज्यादा ब्राइट स्टूडेंट रही हूं मैंने 8th क्लास में गुना डिस्ट्रिक्ट में टॉप किया था उसके बाद 11 th में एमपी टॉपर रही हूं उस समय इलेवंथ बोर्ड हुआ करती थी और मेरे बेहतर परफॉर्मेंस के लिए मुझे गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। उसके बाद मैंने केआरजी कॉलेज ग्वालियर से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई होलकर साइंस कॉलेज इंदौर से पूर्ण की। मैंने इंग्लिश में एमए किया और यूनिवर्सिटी टॉपर रही। वही मैंने इंग्लिश लिटरेचर में पीएचडी की उपाधि भी हासिल की है। मैंने पीएससी की परीक्षा को पहले अटेम्प्ट में क्वालीफाई कर लिया था। लेकिन उस समय मेरे बच्चें छोटे थे इस वजह से मैंने ज्वाइन नहीं किया। मैंने जबसे इस समाज सेवा का बीड़ा उठाया है मेरे पति दिलीप भंडारी, बेटा प्रदीप भंडारी, दोनों बेटी शिल्पा भंडारी और शुभ्रा भंडारी हमेशा मेरे साथ खड़े रहे।
सवाल. थैलेसीमिया से संबंधित किस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन संस्था द्वारा किया जाता है
जवाब. हमारे थैलेसीमिया प्रोजेक्ट के तहत थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की हर संभव मदद करना शामिल है। जिसमें अभी तक 250 से ज्यादा बालक लाभान्वित हुए हैं। उसी के साथ थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की रक्त जांच, वैक्सीनेशन, कैप्सूल, इंजेक्शन, गोलियां और अन्य मेडिकल सहायता उपलब्ध करवाना है। इसी के साथ थैलेसीमिया कैरियर डिटेक्शन कैंप का आयोजन, पूरे साल रजिस्टर्ड बच्चों की दवाइयां ऑपरेशन तथा ब्लड टेस्ट पर आने वाले खर्च का 50% संस्था द्वारा मदद करना शामिल है। अभी तक थैलेसीमिया को लेकर 60 से ज्यादा कैंप का आयोजन किया जा चुका है वही 30 से ज्यादा रक्तदान शिविर और थैलेसीमिया के लिए 53 से ज्यादा आयोजन थैलेसीमिया डे और 14 नवंबर बाल दिवस के अवसर पर निशुल्क सभी प्रकार के टेस्ट का आयोजन करवाया जाता है। संस्था द्वारा चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में लाइब्रेरी स्थापित की गई है जिसमें 350 किताबें रखी गई है। वही हाल ही में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में के बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर में लाइब्रेरी की स्थापना की गई जिसमें 255 कहानी, कॉमिक्स और महापुरुषों की जीवनी की किताब रखी गई है।
सवाल. संस्था द्वारा और कौन कौन से प्रोजेक्ट चलाए जाते हैं
जवाब. संस्था द्वारा थैलेसीमिया के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और उसे समझाओ प्रोजेक्ट भी चलाया जाता है जिसमें बेटियों को यौन उत्पीड़न के विरुद्ध जागरूकता और अन्य विषयों के बारे में समझाया जाता है। इसी के साथ संस्था द्वारा चाइल्ड वेलफेयर प्रोजेक्ट भी चलाया जाता है जिसमें असाध्य रोगों से पीड़ित निर्धन बच्चों को को चिकित्सा सुविधा, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का सम्मान, चित्रकला प्रतियोगिता आयोजन, पौधरोपण, विभिन्न सामयिक विषयों पर परिचर्चा का आयोजन, ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का प्रचार प्रसार और अन्य कार्यशाला का आयोजन किया जाता है।