Guru Nanak Jayanti 2022: इंदौर में राजबाड़े के पास जहाँ लगाया था गुरुनानक देव ने पेड़ उसे आज हम जानते हैं ‘गुरुद्वारा ईमली साहब’ के नाम से

Shivani Rathore
Published on:

आज कार्तिक पूर्णिमा को सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु श्रीगुरुनानक देव जी का अवतरण दिवस भी है। आज के दिन को हमारे देश में ‘गुरुनानक जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। मानवता और प्रेम सौहार्द का संदेश और शिक्षा देने वाले गुरुनानक देव जी ने अपने पुरे जीवन काल में सम्पूर्ण मानव जाति को जहां एक सूत्र में बाँधने का प्रयास किया, वहीं देश और विदेश के कई स्थानों पर उन्होंने ईश साधना के साथ ही मानवता की प्रगाढ़ सेवा भी की। अपने जीवन की इसी यात्रा के दौरान श्री गुरुनानक देव माँ अहिल्या की इस पावन नगरी इंदौर में भी पधारे। इंदौर में जहां गुरुनानक देव ने प्रवास किया आइए जानते हैं किस नाम से जानी जाती है वो जगह।

Also Read-Chandra Grahan 2022 : आज कार्तिक पूर्णिमा पर भारत में रहेगा चंद्र ग्रहण, जानिए क्या है सूतक का समय, इस दौरान भूलकर भी ना करें ये काम

ओंकारेश्वर में की तपस्या

अपने जीवन काल के दौरान श्रीगुरुनानक देव ने जहाँ देश विदेश के कई स्थानौं की यात्रा की वहीं माँ अहिल्या के पावन शहर इंदौर में भी गुरुनानक देव के पावन चरण पड़े और साथ ही यहां उन्होंने कुछ दिनों प्रवास भी किया। जानकारी के अनुसार अपनी भारत यात्रा के दौरान श्रीगुरुनानक देव महाराष्ट्र के नासिक जिले से होते हुए मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे ठहरे, जहां से चल कर वे ओंकारेश्वर पहुंच और कुछ दिन ज्योतिर्लिंग मंदिर के परिसर में तपस्या की।

Also Read-IMD Update : मध्यप्रदेश के इन जिलों में गिर सकता है ‘मावठा’, इतने राज्यों में होगा ठंड का तीव्र अहसास

राजबाड़े के नजदीक इस स्थान पर रुके थे गुरुनानक देव

बेटमा साहिब से चलकर गुरुनानक देव इंदौर में वर्तमान राजबाड़े के नजदीक एक स्थान पर ठहरे। इंदौर में जहाँ गुरुनानक देव ठहरे उस स्थान पर उनके द्वारा एक इमली का पेड़ लगाया गया था। उस स्थान को आज ‘गुरुद्वारा इमली साहब’ के नाम से जाना जाता है, जोकि देश और इंदौर का एक सुप्रसिद्ध गुरुद्वारा है । इसके साथ ही इंदौर के गुरुद्वारा तोपखाना में भी गुरुनानक देव से संबंधित साक्ष्य मिलते हैं। इसके बाद वे इंदौर के नजदीक बेटमा में ठहरे जहाँ आज बेटमा साहब गुरुद्वारा है। मान्यता है की गुरुनानक देव के आने के बाद बेटमा की खारी बावड़ी का पानी भी मीठा हो गया था। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के उज्जैन और भोपाल में भी गुरुनानक देव के प्रवास के सबूत मिले हैं।