गणगौर राजस्थान और सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक बड़ा पर्व है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। आज गणगौर तीज की पूजा है। दरअसल, हर साल हमारे देश में नवरात्री का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्री साल में दो बार आती है चैत्र नवरात्री और शारदीय नवरात्री। जिसके चलते प्रत्येक वर्ष चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि गणगौर तीज के रूप में मनाई जाती है।
गणगौर पर सुहागन महिलाएं सौभाग्यवती की कामना के लिए माता गौरा की पूजा करती हैं। गणगौर तीज का व्रत खासतौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश की महिलाएं करती है। गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की मनोकामना करते हुए पूजा करती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
शुभ मुहूर्त –
गणगौर पूजा गुरुवार, 15 अप्रैल 2021
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 14 अप्रैल 2021 को दोपहर 12:47 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त- 15 अप्रैल 2021 को दोपहर 03:27 बजे तक
व्रत पूजन विधि –
बता दे, गणगौर पूजन के दौरान शिव और गौरी को सुंदर वस्त्र अर्पित किये जाते है। वहीं सुहाग की वस्तुएं भी अर्पित कर सकते है। साथ ही चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से उनकी पूजा अर्चना करें। फिर एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है।
उसके बाद दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती हैं। वहीं अंत में चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कथा सुनी जाती है। खास बात ये है कि गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता। साथ ही जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, महिलाएं उसे अपनी मांग में भरती हैं।