Ganesh Chaturthi 2023 : इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर यानी आज से आरंभ हो रहा है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर यानी कल दिन में 12 बजकर 39 मिनट पर हो चुकी है और समापन 19 सितंबर यानी आज दिन में 1 बजकर 43 मिनट पर समापन होगा। गणेश चतुर्थी भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
बता दे कि, यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्सव और धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन सबसे बड़ा धूमधाम मुंबई, पुणे, और नागपुर जैसे शहरों में देखा जाता है।
इस त्योहार के दौरान, भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। यह चतुर्थी का दिन, भगवान गणेश के प्रति भक्ति और प्रेम का अभिवादन किया जाता है। पर्व के इस मौके पर भक्त विभिन्न प्रकार की पूजा और अर्चना करते हैं, और खुशियों के साथ व्रत और आरती का पालन करते हैं।
गणेश चतुर्थी के इस उत्सव के दौरान लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, और सामाजिक और सांस्कृतिक सांझों का हिस्सा बनते हैं। यह त्योहार भारतीय समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण प्रतीक है।
गणेश चतुर्थी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह भारतीय त्योहारों का एक अद्वितीय और रंगीन पर्व है। इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ आज के दिन भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
पूजन सामग्री
यह सामग्री पूजन के लिए आवश्यक होती है, जैसे कि दीपक, दिव्य, कुश ग्रास, दुपट्टा, कलश, नरियल, फूल, लाऊ पत्ता, अगरबत्ती, सुपारी, इलायची, लौंग, चावल, अक्षत, गुड़, दूध, घी, गंध और हल्दी आदि।
आसन : गणेश की मूर्ति को स्थापित करने के लिए आपको एक आसन की आवश्यकता होती है।
व्रत का आहार : बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं, इसलिए उन्हें उपवासी आहार की तैयारी करनी होती है। आप फल, सबुदाना, सिंघाड़ा आदि से बनी व्रत खाने की विधियों का पालन कर सकते हैं।
पूजा की विधि
गणेश मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराएं और साफ कपड़ों से पोंछें।
आसन पर गणेश मूर्ति को स्थापित करें और पूजा सामग्री को तैयार करें।
पूजा की शुरुआत गणेश मंत्रों का उच्चारण करके करें।
दीपक को जल और घी से जलाकर गणेश की मूर्ति के सामने रखें।
पुष्प, धूप, अगरबत्ती, फल, निवेदन की वस्तुएँ चढ़ाएं और मंत्रों का पुनः उच्चारण करके पूजा करें।
गणेश चालीसा या आरती गाएं और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
अनंत चतुर्दशी तिथि को गणेश मूर्ति को विसर्जन करें, इसे जल में डूबाएं या नदी में विसर्जित करें।
इस रूप में, गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश पूजा का आयोजन किया जा सकता है। यह पूजा भगवान गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है और परिवार के सदस्यों के बीच एक मिलनसर और धार्मिक आयोजन का भी हिस्सा होता है।