गायों की डकार से लेकर स्तन ढकने तक ये है अजीबो गरीब टैक्स, वजह जान पीट लेंगे माथा

pallavi_sharma
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हाल ही में आने वाला बजट चर्चा का विषय बना हुआ है, हर कोई बजट आने को लेकर चिंता में है इस साल सरकार किन चीज़ो पर बढ़ोतरी करेगी और किसकी कटौती ये तो वक्त के गर्भ में है, लेकिन इस बजट के इस मौसम में हम आपको कई ऐसे टैक्स के बारे में बतने जा रहे हैं जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। कभी स्तन ढकने पर टैक्स लगता था। यह सच है। यह टैक्स कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही लगता था। इसी तरह दाढ़ी रखने पर भी टैक्स लगता था। अब तो न्यूजीलैंड में गायों की डकार पर भी टैक्स लगाने की तैयारी चल रही है। आइये जानते है इन टेक्स के बारे में

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स्तन ढकने पर टैक्स

भारत में 19वीं शताब्दी में केरल में त्रावणकोर के राजा ने कथित निचली जाति की महिलाओं के स्तन ढकने पर टैक्स लगाया था। इनमें एजवा, थिया, नाडर और दलित समुदाय की महिलाएं शामिल थीं। इन महिलाओं को अपने स्तन ढकने की इजाजत नहीं थी। ऐसा करने पर उन्हें भारी टैक्स देना पड़ता था। आखिरकार नांगेली नाम की एक महिला के कारण त्रावणकोर की महिलाओं को इस टैक्स से मुक्ति मिली। नांगेली ने यह टैक्स देने से मना कर दिया। जब एक टैक्स इंस्पेक्टर उसके घर पहुंचा तो नांगेली ने टैक्स देने से इनकार कर दिया। इस टैक्स के विरोध में उसने अपने स्तन काट दिए। ज्यादा खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई और इसके साथ ही राजा को यह टैक्स खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा था

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खिड़कियों पर टैक्स

साल 1696 में इंग्लैंड और वेल्स के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगाया था। इसमें लोगों को खिड़कियों की संख्या के हिसाब से टैक्स देना पड़ता था। राजा का खजाना खाली था और उसकी हालत सुधारने के लिए उसने यह तरकीब अपनाई। जिन घरों में 10 से अधिक खिड़कियां होती थीं उन्हें दस शिलिंग टैक्स देना पड़ता था। इससे बचने के लिए कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से कवर कर दिया था। लेकिन इससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा। आखिर 156 साल बाद 1851 में जाकर यह टैक्स खत्म हुआ।

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आत्मा पर यकींन रखने का टेक्स

रूस के राजा पीटर द ग्रेट ने 1718 में सोल यानी आत्मा पर भी टैक्स लगाया था। यह टैक्स उन लोगों को देना पड़ता था जो आत्मा जैसी कोई चीजों पर यकीन करते थे। जो आत्मा में यकीन नहीं रखते थे, उनसे भी टैक्स लिया जाता था। उनसे धर्म में आस्था न रखने का टैक्स लिया जाता था। यानी सभी को टैक्स देना होता था। कहा जाता है कि चर्च और रसूखदार लोगों को छोड़कर सबको यह टैक्स देना होता था। इसमें भी टैक्स वसूली के समय टैक्सपेयर घर से गायब हो तो पड़ोसी को देना होता था।

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दाढ़ी पर टैक्स

साल 1535 में इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने दाढ़ी पर टैक्स लगा दिया था। यह टैक्स आदमी की सामाजिक हैसियत के हिसाब से लिया जाता था। हेनरी अष्टम के बाद उनकी बेटी एलिजाबेथ प्रथम ने नियम बनाया कि दो हफ्ते से ज्यादा बड़ी दाढ़ी पर टैक्स लिया जाएगा। मजेदार बात यह है कि अगर टैक्स वसूली के वक्त कोई घर से गायब मिले तो उसका टैक्स पड़ोसी को देना होता था। 1698 में रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने भी दाढ़ी पर टैक्स लगाया था। दाढ़ी बढ़ाने पर टैक्स देना पड़ता था। वह रूस के समाज को यूरोपीय देशों की तरह आधुनिक बनाना चाहते थे।

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यूरीन पर टैक्स

प्राचीन रोम में यूरीन को काफी महंगी चीज माना जाता था। इसका इस्तेमाल कपड़े धोने और दांत साफ करने में होता था। इसकी वजह यह थी कि इसमें अमोनिया होता था। रोम के राजा वेस्पेशन ने पब्लिक यूरिनल से यूरीन के डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स की व्यवस्था की थी। जब उनके बेटे टाइटस ने इस पॉलिसी पर सवाल उठाया तो वेस्पेशन ने उसकी नाक पर एक सिक्का लगा दिया और उससे कहा, ‘Money doesn’t stink यानी पैसों से दुर्गंध नहीं आती।’

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गायों की डकार पर टैक्स

न्यूजीलैंड में मवेशियों की डकार पर किसानों को टैक्स चुकाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदारी ग्रीनहाउस गैसों की समस्या से निपटने के लिए न्यूजीलैंड यह कदम उठाया है मवेशियों के डकारने पर किसानों से यह टैक्स वसूला जाएगा। न्यूजीलैंड में ग्रीनहाउस गैस की समस्या में पशुओं के डकार का सबसे ज्यादा योगदान है। रिसर्च के मुताबिक मवेशियों की डकार से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। किसानों को 2025 से अपने मवेशियों की डकार पर टैक्स देना होगा। इस योजना के जरिये वसूले गए टैक्स को किसानों के लिए रिसर्च, विकास और सलाहकार सेवाओं में लगाया जाएगा।