नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में भक्त व्रत रख नौ दिन मां के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करते हैं। ऐसे में मां भी भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए घरों में विराजमान होती हैं। आपको बता दे, नवरात्रि में मां की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है साथ ही सभी बढ़ाएं भी दूर हो जाती है और जीवन में खुशियों का आगमन होने लगता हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं पूजा के दौरान किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? घर में वास्तु की किन टिप्स को अपनाना चाहिए जिससे आपके जीवन की सभी समस्या ख़त्म हो जाए? नहीं जानते है तो आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स वास्तु के बताने जा रहे हैं जिनको अपनाने से जीवन में खुशियों के साथ धन की समस्या भी दूर हो जाती हैं। तो चलिए जानते है –
बनाएं स्वस्तिक का निशान –
कहा जाता है कि नवरात्रि में कुछ खास उपाय करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का निशान बनाएं। इससे घर में खुशहाली आती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
ऐसे होगी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट –
कहा जाता है कि घर के मुख्य दरवाजे पर आम और अशोक के पत्तों की माला बांधना बहुत शुभ होता है। ऐसे में घर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए नवरात्रि के दौरान इन पत्तों की माला अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध लें। इससे घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
मुख्य द्वार पर बनाएं ये निशान –
मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी जी के पैर का निशान बनाना चाहिए। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। वहीं घर में सुख-शांति बनी रहती है और बिगड़े काम भी बनते हैं।
इस दिशा में सजाएं चौकी –
वास्तुशास्त्र के मुताबिक, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा के लिहाज से काफी बेहतर माना जाता है। इसलिए इसी दिशा में घट स्थापना करनी चाहिए औेर माता की चौकी सजानी चाहिए। इसे शुभ माना जाता है।
इनके इस्तेमाल से बचें –
खास बात ये है कि नवरात्रि के दौरान कुछ चीज़ों को करने से रुकना चाहिए। दरअसल, नवरात्रि के दिनों में काले रंग के वस्त्र न पहनें और इस रंग के इस्तेमाल से बचें। इसमें काले रंग को शुभ नहीं माना जाता। वहीं भगवती की आराधना के स्थान की सजावट पर विशेष ध्यान दें। पूजा कक्ष की सजावट हल्के रंगों से करानी चाहिए। साथ ही मां की पूजा में लाल रंग के ताजे फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए।