प्रवाह

Mohit
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धैर्यशील येवले इंदौर

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा

बदलती है रुते
बदलती है राते
रुकता नही जीवन
झुकता नही जीवन
सुहाने पलो में
ये भी तो जियेगा

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा

सुनहरी धूप में
सुरमई छांव में
दिन और रात में
पीपल के गांव में
ऊर्जा से भरा
ये भी तो गायेगा

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा

काली राते बदलेगी
दमकती सुबहे आएगी
कौन रुका जो रुकेगा
कालचक्र तो चलेगा
धुरी पर नही परिधि पर
ये भी तो घूमेगा

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा

न ऊँचाई न गहराई
कौन तुझे रोक पाई
जब जब तूने ठाना
तेरी हर बात को माना
चल चला चल पीछे तेरे
ये भी तो चलेगा

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा

मन से न हारना
मन को न मारना
मन ही मीत है
मन ही जीत है
मन की तरंगों पर
ये भी तो नाचेगा

वो भी न रहा है
ये भी न रहेगा
समय के प्रवाह में
ये भी तो बहेगा
ये भी तो बहेगा ।