इंदौर: एक समय में वैश्विक वस्त्र उद्योग में अपनी अलग पहचान रखने वाला इंदौर शहर अब इस क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। इंदौर को एक बार फिर वस्त्र उद्योग का सिरमौर बनाने के उद्देश्य से जाल सभागृह में टेक्सटाइल असोसिएशन (इंडिया), एमपी यूनिट द्वारा आयोजित दो दिनी 76 वीं ऑल इंडिया टेक्सटाइल कॉन्फ्रेंस शुक्रवार से शुरू हुई। इस कॉन्फ्रेंस में देश भर से वस्त्र उद्योग से जुड़े व्यापारी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए। “फाइबर टू फैशन” थीम पर हो रही इस कॉन्फ्रेंस में धागा तैयार करने से लेकर, कपडा बुनने, प्रिंटिंग करने और अंत में उससे फैशनेबल ड्रेसेस तैयार करने तक हर प्रक्रिया से जुड़े लोग शामिल थे। कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता सांसद शंकर लालवानी ने की। कार्यक्रम के विशेष अतिथि डॉ वेद प्रताप वैदिक और भरत मोदी थे।
कॉन्फ्रेंस में टेक्सटाइल असोसिएशन (इंडिया) के नेशनल प्रेसिडेंट अशोक जुनेजा ने बताया कि यह संस्था 81 वर्ष पुरानी है और यह 76 वीं ऑल इंडिया टेक्सटाइल कॉन्फ्रेंस है। कोविड की चुनौतियों के दौरान इस कॉन्फ्रेंस को आयोजित करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण था पर इंदौर ने इस चुनौती को पूरा कर दिखाया। देश में कृषि के बाद वस्त्र उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है। देश भर में वस्त्र उद्योग से सीधे तौर पर 45 मिलियन लोग काम कर रहे हैं और 110 मिलियन लोग किसी न किसी माध्यम से रोजगार प्राप्त करते हैं। यह एकमात्र क्षेत्र है जहाँ कम निवेश करके भी ज्यादा रोजगार पैदा किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में अब कई बड़े ग्रुप निवेश कर रहे हैं, जिससे बड़ी मात्रा में रोजगार पैदा होगा।
कई बड़ी कंपनियां मध्यप्रदेश में तलाश रही है निवेश के अवसर
वाईस प्रेसिडेंट अशोक वेदा ने बताया कि टेक्सटाइल असोसिएशन (इंडिया) के देश भर में 30 हजार सदस्य है और मध्यप्रदेश में करीब 2 हजार सदस्य है। इस बार कॉन्फ्रेंस इंदौर में करने का मुख्य कारण यह है कि पुरे देश में वस्त्र उद्योग से जुडी कई बड़ी कंपनियां अब मध्यप्रदेश में निवेश के अवसर तलाश रही है। भोपाल के पास मंडीदीप में टेक्सटाइल क्लस्टर तैयार हो रहा है, जहाँ देश की कई नामी कंपनियों ने अपने वीविंग और प्रोसेसिंग प्लांट्स शुरू किए हैं।
हमारा उद्देश्य है कि इंदौर में भी टेक्सटाइल क्लस्टर बनाने के लिए सभी जरुरी सुविधाएँ उपलब्ध कराना और इस साल सरकार ने वस्त्र उद्योग के लिए जो बजट पारित किया है, उसका लाभ लेकर इंदौर को टेक्सटाइल हब के रूप में विकसित करना है। चेयरमैन वीपी गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य मध्यप्रदेश सहित पुरे देश में वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देना है और इस कॉन्फ्रेस में मिले सुझावों को हम सरकार तक पहुंचाकर इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने का प्रयास करेंगे। वाइस प्रेसिडेंट कैलाश अग्रवाल ने बेहतरीन गुणवत्ता वाले कॉटन की पैदावार के लिए खरगोन बेल्ट का महत्व बताया। सेक्रेट्री एमसी रावत ने बताया कि कांफ्रेंस में इंडियन आईटीएमई के केतन संघवी, यूनाइटेड नेशन के अमित चौधरी और बदरुद्दीन खान ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कोविड के प्रभाव के बावजूद बढ़ रही है मांग
कॉन्फ्रेंस के दौरान कॉन्फ्रेंस में टेक्सटाइल असोसिएशन (इंडिया) के कोषाध्यक्ष अंकित वेदा ने कहा, सभी को डर था कि कोविड के बाद वस्त्र उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा परंतु बढ़ती हुई मांग और एक्सपोर्ट के कारण वस्त्र उद्योग से जुडी सारी बड़ी कंपनियां एक्सपांशन मोड में है। पहले मध्यप्रदेश में सिर्फ धागा बनाया जाता था और कपडे की बुनाई के लिए उसे बाहर भेजा जाता था परंतु अब वीविंग और प्रोसेसिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अब कपडा और गारमेंट बनाने वाली कंपनियां भी मध्यप्रदेश में आने लगी है और एक्सपोर्ट क्वालिटी का काम कर रही है। वस्त्र उद्योग में 40 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले जवाहरलाल सांड कहते हैं कि इंदौर में फलालेन का बहुत बड़ा बाजार है पर हमारे पास प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने से हमें इसके लिए दूसरे प्रदेशों में अपना माल भेजना पड़ता है। इस कॉन्फ्रेंस के जरिए हमारी कोशिश है कि वस्त्र उद्योग के लिए हर जरुरी सुविधा इंदौर में ही उपलब्ध कराई जाएँ, ताकि इस क्षेत्र में विकास के नए अवसर पैदा हो।
कल शाम साढ़े 6 बजे रविंद्र नाट्यगृह में होगा फैशन शो
कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन 6 मार्च को शाम साढ़े 6 बजे से रविंद्र नाट्यगृह में एक फैशन शो का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें मध्यप्रदेश की मशहूर माहेश्वरी साड़ियों से लेकर खादी और बागप्रिंट से बने खूबसूरत परिधान प्रदर्शित किए जाएंगे।
इंदौर को टेक्सटाइल हब बनाने के लिए ये हैं जरूरतें
(टेक्सटाइल असोसिएशन (इंडिया) के जॉइंट सेक्रेटरी डॉ दीपेश अग्रवाल के अनुसार)
1. इंदौर वस्त्र उद्योग के लिए विशेष रूप से जमीन का आवंटन किया जाएँ
2. ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को बेहतर बनाया जाएँ
3. सरकार को लोन लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना होगा
4. स्किल्ड लेबर के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाएँ
5. उद्योगपतियों को एक समूह बनाकर एकसाथ काम करना होगा