इंदौर. पहले के मुकाबले आज इनफेक्शियस डिसीस बहुत ज्यादा कम हो गई है अगर हम बात करें तो पहले मलेरिया, टाइफाइड जैसी बीमारियां बहुत ज्यादा पाई जाती थी जो कि अब लगभग खत्म होने की कगार पर है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि हमारे बदलते खान-पान और जीवनशैली ने दूसरी बीमारियों को जन्म दे दिया है आजकल ब्लड प्रेशर ,डायबिटीज के केस में बढ़ोतरी हुई है वहीं गुटका तंबाकू अल्कोहल इन सब के सेवन से कैंसर, हार्ट अटैक, और अन्य प्रकार की समस्याएं देखने को सामने आ रही है। वहीं बढ़ता मोटापा भी कई बीमारियों को जन्म दे रहा है। शहरीकरण में हमारे खानपान में शुद्धता लगभग खत्म हो रही है अब हम पैकेज्ड फूड और हाई प्रोसैस्ड फूड की ओर बढ़ रहे हैं जो कि कई बीमारियों को बढ़ावा दे रह है। इसके लिए लोग एक्सरसाइज और व्यायाम भी कर रहे हैं लेकिन वह व्यायाम करते हैं खानपान में परिवर्तन नहीं करते जिससे बीमारियां ज्यों की त्यों बनी हुई है। अगर बात बाहरी खाने की करी जाए तो इनमें तीन गुना नमक और तीन गुना शुगर रहती है जोकि हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है। यह बात डॉ मिलिंद साठे ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के विवन हॉस्पिटल में जनरल फिजिशियन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. अस्थमा क्या है और यह किस वजह से होता है
जवाब. वर्तमान समय में बढ़ते पोलूशन और स्मोकिंग की वजह से अस्थमा की समस्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है। इसी के साथ परागकण, उड़ती धूल, नमी वाली जगह पर रहने, बर्ड पालने और अन्य कारणों से भी यह समस्या देखी गई है वहीं कई बार यह जेनेटिक रूप से भी देखने को सामने आती है। अस्थमा हर उम्र में देखा जाता है जिसमें चाइल्डहुड अस्थमा, एडल्ट अस्थमा शामिल है। कई बार चाइल्डहुड अस्थमा भी एडल्ट अस्थमा में कन्वर्ट हो जाता है जिससे सांस में समस्या बनी रहती है। इसके अगर शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो नाक में पानी आना, छींक आना, खांसी, सांस फूलना यह सब समस्या देखी जाती है। इसका सही समय पर ट्रीटमेंट करने से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि इसके पेशेंट एक दो महीने दवाई लेने के बाद इसे बंद कर देते हैं जो कि सही नहीं है। कई केस में यह जानलेवा भी साबित हुआ है इसे नजरअंदाज करना गलत है। कोविड के दौरान ऐसे कई पेशेंट देखे हैं जिनके लंग में इंफेक्शन हुआ इस वजह से लोगों को अस्थमा होने की ओर ब्रोंकाइटिस सांस में तकलीफ होने की टेंडेंसी में ज्यादा बढ़त हुई है
सवाल. ट्यूबरक्लोसिस की समस्या का मेन कारण क्या है इसे किस प्रकार कम किया जा सकता है
जवाब. ट्यूबरक्लोसिस की करी जाए तो यह एक इनफेक्टिव डिसीस है। यह पर्सन से पर्सन फैलने वाली एक प्रकार की बीमारी हैं। इसके प्रकोप को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं हमारे पास जो पेशेंट आते हैं उन्हें हम प्रिस्क्राइब कर सरकारी हॉस्पिटल में भेज देते हैं जहां पर इन्हें आइसोलेशन में रखा जाता है और उसका प्रॉपर इलाज किया जाता है। बात अगर इसके लक्षण की करी जाए तो इसमें वजन कम होना खांसी मैं बलगम और खून आना, बुखार आना जैसी समस्याएं बनी रहती है ऐसे मैया बीमारी और ना बढ़े इसलिए पेशेंट की टीबी एक्स-रे और अन्य जांच करवाई जाती है इसके बाद इनका ट्रीटमेंट स्टार्ट किया जाता है इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोग जितने समय तक सोसाइटी में रहते हैं उनका सही ट्रीटमेंट नहीं होने की वजह से यह बीमारी फैलाते रहते हैं। यह बीमारी हमारे शरीर के सभी अंगों पर असर डालती है वही सबसे ज्यादा इसका सर फेफड़ों पर होता है।
सवाल. डायबिटीज की समस्या किन कारणों से होती है
जवाब. आज के दौर में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के पेशेंट बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ रहे हैं इसका एक मेन कारण हमारी बदलती जीवन शैली है।अगर बात डायबिटीज की करी जाए तो यह एक तो पारिवारिक कारण से होती है इसी के साथ एनवायरमेंट और गलत खानपान भी इसका एक मुख्य कारण है जो चीजें हम बाहर से खाते हैं उनमें 3 गुना शक्कर की मात्रा होती है और यह डायबिटीज को बढ़ावा देती है। इसी के साथ आज कल ओवरईटिंग भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है इस वजह से मोटापा बढ़ता है और मोटापा आगे चलकर डायबिटीज जैसी समस्या को बढ़ावा देता है। डायबिटीज होने के चलते ब्लड की वेसल्स पर इसका असर पड़ता है जिस वजह से शरीर के सभी अंगों पर इसका दुष्परिणाम देखा जाता है।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद डीटीसीडी की पढ़ाई भी शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से ही पूरी की। इसी के साथ मैंने प्रीवेंटिव कार्डियोलॉजी में फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया है। वही मैंने अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम और फैलोशिप में हिस्सा लिया है। मैंने शहर के सीएचएल हॉस्पिटल, विशेष हॉस्पिटल और अन्य अस्पतालों में अपनी सेवाएं दी है। मैं जनरल फिजिशियन के रूप में लगभग पिछले 35 सालों से कार्यरत हूं।