डॉ मनीष पोरवाल का नया कीर्तिमान, हार्ट सर्जरी के तीसरे दिन मरीज डिस्चार्ज

Akanksha
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इंदौर। CHL हॉस्पिटल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. मनीष पोरवाल ने मिनिगली इन्वेसिव तकनीक से हार्ट सर्जरी कर सिर्फ तीन दिनों के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर एक नया किर्तीमान बनाया है। आपको बता दें कि, मरीज फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ है। गौरतलब है कि, हार्ट के मरीजों को ऑपरेशन के बाद एक सप्ताह या उससे ज्यादा समय तक अस्पताल में रखा जाता है। लेकिन मिनमली इन्वेसिव तकनीक मरीज को जल्द ही घर भेजा जा सकता है।

CHL हॉस्पिटल चेयरमेन डॉ राजेश ने बताया कि धामनोद निवासी 21 वर्षीय जय पाटीदार सांस की तकलीफ से पीडित थे। हदय की जॉचो में 3.5 से.मी का जन्मजात छेद हदय में पाया गया था। 27 अगस्त2021 को डॉ. पोरवाल ने बिना हड्डी काटे, विन्डो बनाकर मिनिमली इन्वेसिव तकनीक से जय पाटीदार की ओपन हार्ट सर्जरी को सफलता पुर्वक अंजाम दिया। सर्जरी के बाद रिकवरी युनिट में मरीज को वेन्टिलेटर एवं आक्सीजन की भी जरुरत नहीं पड़ी और सिर्फ तीन दिन की निगरानी के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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उन्होंने बताया कि, इस तकनीक में 3 इंच के चिरे के जरिये छाती की पसलियों के बीच से आपरेशन किया जाता है एवं मरीज को रिकवरी तुरत हो जाती है। पच्चीस हजार से ज्यादा छोटे बड़े आपरेशन करने के बाद डॉ. पोरवाल का यहमानना है कि जिस मरीज के ईलाज में यह तकनीक संभव है वो उसे इस तकनीक का लाभ देना चाहिए। महिला मरीजों का इस तकनीक से ऑपरेशन होने पर घाव दिखाई नहीं देता हैं।

CHL हॉस्पिटल का नया किर्तीमान, हार्ट सर्जरी के तीसरे दिन मरीज डिस्चार्ज
CHL हॉस्पिटल का नया किर्तीमान, हार्ट सर्जरी के तीसरे दिन मरीज डिस्चार्ज

डॉ मनीष पोरवाल ने बताया कि इस तकनीक से ईलाज होने के बाद मरीज न केवल 3 दिन में डिस्चार्ज हो सकता है बल्कि 1 से 2 सप्ताह में ड्राईविंग, ट्रेवलिंग और दिनचर्या के सामान्य कार्य शुरु कर सकते हैं जबकि सामान्य तकनीक में कम से कम 2 माह बाद ही गरीज सामान्य काम शुरु कर सकते थे। इस फास्ट ट्रेकिंग डिस्चार्ज प्रोसेस को अर्ली रिकवरी आफ्टर सर्जरी कहते है। इस प्रोसेस के लिए एक अच्छी टीम की जरुरत होती है जिसमें एक अच्छे ऐनेस्थेटिस्ट जो ऐसी दवा दे की मरीज ऑपरेशन के बाद जल्दी से होश में आ जाए।

उन्होंने आगे कहा कि, वही अच्छी आईसीयु टीम की जरुरत होती है जो मरीज की फिजियोथेरेपी मोबेलिटी आदि करा सके। यह पद्धति 20 साल से 65 साल तक के मरीजों के लिए उपयुक्त है। इस पद्वति का सबसे बड़ा फायदा ये है कि भविष्य मरीज के हार्ट का दुसरे ऑपरेशन की जरुरत पड़ती है तो वह बगैर किसी जोखिम के हो जाता है। जबकि पुरानी पद्धति में जोखिम ज्यादा रहता है।

बता दें कि, इस आपरेशन में डॉ. विजय महाजन, डॉ.राजेश कुकरेजा, डों पीयुष गुप्ता एवं डॉ. रौनक मारु भी सहयोगी थे। सफल आपरेशन के बाद जय पाटीदार पुणर्त स्वस्थ है। डॉ. मनीष पोरवाल ने आगे पत्रकारो को बताया कि जन्मजात विकार के अलावा बायपास सर्जरी, वाल्व रिपेयर एवं वाल्व रिपलेसमेंट आदि आपरेशन भी इस तकनीक से किया जा रहा है। तेजी से विकसित हो रहे मेडिकल हद में ये तकनीक मरीजों के लिए वरदान की तरह है।