नर्मदा के “आस्था और अस्तित्व” विषय पर परिचर्चा 6 मार्च को, जुटेंगे कई दिग्गज पर्यावरणविद

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भोपाल। भोपाल में 6 मार्च को प्रदेश की जीवन दायनी माँ नर्मदा से जुड़े विषय “आस्था और अस्तित्व” (Narmada’s faith and existence)पर नर्मदा संरक्षण न्यास द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रख्यात पर्यावरणविद भाग लेंगे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने 3100 किलोमीटर की पैदल नर्मदा परिक्रमा करने के बाद नर्मदा नदी की साल दर साल कम होती धार को देखते हुए नर्मदा संरक्षण(Narmada Protection) का संकल्प लिया था और इस पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने नर्मदा संरक्षण न्यास(Narmada Conservation Trust) का गठन किया।

जिसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह(Digvijay Singh) स्वयं न्यास के अध्यक्ष हैं, परिक्रमा में सहयात्री रहीं उनकी धर्म पत्नि ख्यात पत्रकार अमृता राय कार्यकारी अध्यक्ष व परिक्रमा के दूसरे अहम सहयात्री रहे पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा उपाध्यक्ष हैं। नर्मदा संरक्षण न्यास अपनी स्थापना से ही नर्मदा संरक्षण के लिए सतत गतिविधि करता रहा है।

न्यास के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने नर्मदा पर्यावरण पर होने वाली इस परिचर्चा के विषय में बताया कि देश की प्राचीन नदियों में से एक नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है वे एक सदानीरा के रूप में हमारे अंचल में युगों-युगों से विद्यमान हैं। जन-जन की आस्था की केंद्र नर्मदा को देवी के रूप में भी पूजा जाता है, उसकी परिक्रमा की जाती है। अत्यंत दुखद है कि अब इस जीवनदायनी नदी की अविरल धारा क्षीण हो चली है। रेत का बेतहाशा उत्खनन और तटों पर आबाद वनों-पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई से उसका अस्तित्व संकट में आ गया है।

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उन्होंने कहा कि नर्मदा की अमृतधारा सूखने की कगार पर है इन मुश्किलों को लेकर बहुत से सवाल हैं जो सिर्फ नर्मदा से नहीं; मनुष्यता और उसके अस्तित्व से जुड़े हुए हैं और इन्ही प्रश्नों के उत्तर तलाशने के लिए नर्मदा संरक्षण न्यास ने “नर्मदा के पर्यावरण, आस्था और अस्तित्व” विषय पर पर्यावरण विद और जानकारों के साथ परिचर्चा का आयोजन किया है जहां जीवन को चेतना देने वाली इस नदी और उसके पर्यावरण से जुड़े जीवंत सवालों के जवाब तलाशे जाएंगे।

नर्मदा संरक्षण न्यास की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती अमृता राय ने बताया कि नर्मदा संरक्षण को लेकर न्यास का प्रण है कि नर्मदा नदी की धारा अविरल रहे वे सदानीरा रहें, नर्मदा का पारिस्थितिक तंत्र सुरक्षित व अक्षुण्ण रहे, नर्मदा का पर्यावरण सलामत रहे और नर्मदा की संस्कृति सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि नर्मदा संरक्षण न्यास अपने संकल्प को पूरा करने के लिए नर्मदा की प्रकृति और प्रवाह बनाये रखने, पारिस्थितिक तंत्र व नर्मदा तट के सांस्कृतिक तंत्र के संरक्ष्ण करने और उत्खनन के खिलाफ जनचेतना को जागृत करने का हरसंभव प्रयास करेगा।

न्यास के अध्यक्ष श्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि नर्मदा संरक्षण न्यास ने 6 मार्च को अपरान्ह 3 बजे से भोपाल के हबीबगंज नाका क्षेत्र में स्थित बीएसएसएस कॉलेज के सभागार में नर्मदा के पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक परिचर्चा आयोजित की है जिसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी सुश्री मेधा पाटकर, पर्यावरण पर अनेक पुस्तक लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक व पर्यावरण विद श्री राजेन्द्र चंद्रकांत राय, सामाजिक कार्यकर्ता श्री राजकुमार सिन्हा, भरूच, गुजरात से मछुआरा समाज से जुड़े श्री कमलेश मढ़ीवाला, पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा व साहित्यकार श्री पंकज सुबीर आदि अपना वक्तव्य देंगे।

श्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल व आसपास के इलाकों में रहने वाले पर्यावरण प्रेमियों खासकर नर्मदा क्षेत्र के लोगों को इस परिचर्चा में भाग लेने के लिए खुला आमंत्रण दिया है जिससे चर्चा में हुए मंथन से नर्मदा संरक्षण के लिए जो अमृत निकले वो जन जन तक पहुंच सके।