नेमावर के बर्बर हत्याकांड की न्यायायिक जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में यह स्पष्ठ तरीक़े से कहा कि “मेरा यह कहना है कि ”निर्भया हत्याकांड“ की तरह इस हत्याकांड की प्रतिदिन सुनवाई कराते हुए 3 माह की समय सीमा में फैसला कराया जाए। वहीं दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि वे प्रदेश के तीन करोड़ दलित आदिवासी और कमजोर वर्ग से जुड़े अत्याचार के इस घोर निंदनीय मामले की सी.बी.आई. या एस.आई.टी. से जांच कराने की घोषणा करें।
वहीं पत्र में लिखा, देवास जिले के नेमावर कस्बे में आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों की जघन्य हत्या की सी.बी.आई. से या एस.आई.टी. गठित कर जांच कराई जानी चाहिए। तभी इस नृशंस हत्याकांड के आरोपियों को फांसी की सजा मिल सकेगी और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकेगा। इस हृदय विदारक हत्याओं से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।
गरीब परिवार के पांच सदस्यों को मारकर गाड़ने से प्रदेश के दलित-आदिवासी वर्ग के लोगों में भारी आक्रोश है। नेमावर पुलिस द्वारा अभी तक की गई जांच से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है। पूरे मामले के अपराधी तीन जिलों में घूमते रहे और देवास पुलिस को भ्रमित करते रहे। मृतक परिवार के दो सदस्य लापता हुए पाँच सदस्यों को खोजने के लिये यदि दबाव नहीं बनाते तो पुलिस इस हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ ही नहीं सकती थी।
दुखी परिवार के सदस्य संतोष और भारती ने बताया कि उनकी बहन रुपाली, दीपाली, मां ममता सहित देवरानी की बेटी पूजा और भाई पवन ओसवाल की एक-एक करके हत्या करने के बाद आरोपी सुरेन्द्र सिंह राजपूत ने कई दिनों तक पुलिस को अलग-अलग मोबाईल लोकेशन देते हुये गुमराह किया। इस दौरान आरोपियों ने जिला खण्डवा, हरदा और देवास के स्थानों का उपयोग किया और मृतका रुपाली के मोबाईल पर सलामती और खैरियत से होने के संदेश देता रहा।
सभ्य समाज में खौफ पैदा कर देने वाले हत्याकांड के बाद आरोपी नेमावर पुलिस के आसपास ही घूमते रहे। जब परिवार ने शक जाहिर किया तब सुरेन्द्र सिंह की लोकेशन अपने खेत के पास पाये जाने पर सामूहिक हत्याओं पर से पर्दा उठ सका। पुलिस ने गड्डा खोदकर जब पाँच लाशें निकाली तो वे नमक और यूरिया से सड़ चुकी थी। तीनों बच्चियाँ वस्त्रविहीन मिली, जिससे सामूहिक कुकृत्य कर मारने की आशंका की पुष्टि होती है।
जन चर्चा है कि बर्बर तरीके से मेहनत मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले परिवार के पाँच सदस्यों की हत्या करने वाले सभी युवक सत्ताधारी दल के नेताओं से मिले हुए है। उनको स्थानीय नेताओं का खुला संरक्षण है। सोशल मीडिया में उनके शीर्ष नेताओं और उनके पुत्रों के साथ फोटो सामने आये है। ऐसी स्थिति में जनमानस में नेमावर पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है। साथ ही यह मामला तीन जिलों की पुलिस की सीमा क्षेत्र से जुड़ा है।
निष्पक्ष जांच के लिये हाईकोर्ट के जज की निगरानी में विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) गठित कर जाँच कराई जाये या मामला सी.बी.आई. को सौंप दिया जाये। जिससे गरीब वर्ग के पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। अभी तक प्राप्त तथ्यों में यह मामला प्रेम प्रसंग की जगह आदिवासी वर्ग की युवतियों के अपहरण, कुकृत्य और वीभत्स तरीके से चार सदस्यों के साथ की गई हत्या का प्रतीत होता है।
शीर्ष स्तर से निष्पक्ष जांच होने की स्थिति में ही जांच एजेंसी सारे सबूत जुटा सकेगी और अपराधियों को कानून के अनुसार फांसी की सजा हो सकेगी। उपरोक्त निर्णय लेने पर प्रदेश की जनता हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की सरकार की घोषणा पर विश्वास कर सकेगी। शीर्ष स्तर से जांच नहीं कराने पर आरोपियों को सत्तारुढ दल का संरक्षण माना जायेगा। परिवार के सदस्यों को पुर्नवास के साथ-साथ शासकीय नौकरी दी जाये। इस घटना ने मध्यप्रदेश को पूरे देश में कलंकित कर दिया है। इस कलंक को तो सरकार नहीं मिटा सकती, पर उच्च स्तरीय जांच की घोषणा कर पीड़ित परिवार और प्रदेश के आक्रोशित वर्ग को न्याय की उम्मीद जगा सकती है।
मेरा यह कहना है कि ”निर्भया हत्याकांड“ की तरह इस हत्याकांड की प्रतिदिन सुनवाई कराते हुए 3 माह की समयसीमा में फैसला कराया जाये। मेरा आपसे निवेदन है कि प्रदेश के तीन करोड़ दलित आदिवासी और कमजोर वर्ग से जुड़े अत्याचार के इस घोर निंदनीय मामले की सी.बी.आई. या एस.आई.टी. से जांच कराने की घोषणा की जाए।