होली पर बाबा महाकाल के भक्तों ने बाबा के साथ जमकर होली खेली, जिससे भक्तों के आनंद की सीमा ही नहीं थी एक बार फिर रंगपंचमी पर यह आयोजन होगा। राजाधिराज भगवान महाकाल टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेलेंगे। रंगोत्सव के लिए तीन क्विंटल टेसू के फूल मंगवाए गए हैं। शनिवार से मंदिर परिसर में फूलों से रंग तैयार किया जाएगा। रविवार को भस्म आरती में परंपरा के रंग बिखरेंगे।
महाकाल मंदिर में रंगपंचमी पर रंग की अपनी परंपरा है और भगवान महाकाल फूलों के प्राकृतिक रंग से होली खेलते हैं। हर बार की तरह इस बार भी बड़ी मात्रा फूल मंगवाए जाएंगे।
महाकाल मंदिर में पुजारी महेश गुरु के मार्गदर्शन में शनिवार से रंग तैयार करने का कार्य प्रारंभ होगा। इस रंग में प्राकृतिक सुगंधित द्रव्य का मिश्रण भी किया जाएगा। रविवार तड़के चार बजे भस्म आरती में इसी प्राकृतिक सुगंधित रंग से भगवान के साथ होली खेली जाएगी। दर्शनार्थी भी भक्ति के रंग में सराबोर होंगे।
500 पुराणी परम्परा का होगा निर्वाहन, निकलेगा चल समारोह
रंगपंचमी पर 12 मार्च को गेर के रूप में शौर्य और विजय की 500 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन नगर में होगा। इस दौरान ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से शाम सात बजे ध्वज पूजन के बाद श्री महाकालेश्वर वीरभद्र ध्वज चल समारोह निकाला जाएगा। चल समारोह में राजभवन के ध्वज के साथ बैंड बाजे भी शामिल रहेंगे।
यह रहेगा प्रमुख आर्कषण
चल समारोह में हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी, चांदी का ध्वज, जरी के 21 ध्वज, श्री वीरभद्र भैरवनाथ के रथ के साथ चलित झांकियां, उज्जैन, इंदौर सहित देश के कई बैंड की धार्मिक, राष्ट्रीय गीतों और भजनों की स्वर लहरियों, नासिक-पुणे का 75 सदस्यीय ढोल-ताश पार्टी दल थाप लोगों को मंत्रमुग्ध करते नजर आएंगे। महाकाल की गेर में नगरवासियों को देश के कई राज्यों की धर्म, संस्कृति एवं वाद्य यंत्रों की झलक देखने को मिलेगी।