लेखक – विनोद नागर
हिन्दी सिनेमा में आधी सदी तक एवर ग्रीन हीरो के बतौर छाये रहे देव आनंद की (निधन के बारह साल बाद) बड़े पर्दे पर एक बार फिर वापसी होने जा रही है। बॉलीवुड के ‘जवान’ की जवानी/बुढ़ापा एक साथ देखकर बॉक्स ऑफिस को निहाल कर रहे दर्शकों को ये सौगात इसी महीने हिन्दी फिल्मों के असली सदाबहार नायक की जन्म शताब्दी के मौके पर मिलेगी।
23-24 सितंबर को आयोजित इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टीवल में देव आनंद की चार चुनिंदा क्लासिक फिल्मों के टेक्निकली अपग्रेडेड वर्शन की स्क्रीनिंग मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में होगी। ये फिल्में हैं- सीआईडी (1956) गाईड (1965) ज्वेल थीफ (1967) और जॉनी मेरा नाम (1970)। मूलतः ये फिल्में ब्लैक एण्ड व्हाईट और रंगीन फिल्मों के संधिकाल में 35 एमएम सेल्युलाइड फिल्म फार्मेट में शूट की गई थीं। ‘गाईड’ तो देव आनंद की पहली रंगीन फिल्म थी।
देव आनंद की जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके छह दशक लंबे कैरियर में मील का पत्थर मानी जाने वाली इन पुरानी यादगार फिल्मों को नई अत्याधुनिक ‘फोर के’ तकनीक से री-स्टोर किया गया है। पुरानी फिल्मों का आधुनिक तकनीक से संरक्षण और संवर्धन करने की यह सार्थक पहल राष्ट्रीय फिल्म धरोहर अभियान के तहत की गई है। केन्द्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इसके लिए आवश्यक धनराशि मुहैया कराई है। एक तरह से यह समय के साथ बल्कि समय से आगे चलने वाले उस ऊर्जावान प्रेरक व्यक्तित्व के धनी फिल्मकार को सच्ची श्रद्धांजलि होगी जो आजीवन अपनी चिर युवा कर्मयोगी छवि के लिए मशहूर रहा।
भारत के राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के सहयोग से ‘फिल्म हैरिटेज फाऊंडेशन’ ने इस विशेष फिल्मोत्सव का आयोजन पीवीआर/आईनॉक्स मल्टीप्लेक्स श्रृंखला तथा देव आनंद और फिल्म निर्माता गुलशन राय के परिवार के साथ मिलकर किया है। देश भर के चुनिंदा तीस शहरों में पीवीआर/आईनॉक्स के मल्टीप्लेक्स में पचास से अधिक स्क्रीन पर इन चारों फिल्मों के निर्धारित समय पर एक-एक शो होंगे। इसकी एडवांस बुकिंग ‘बुक माय शो’ सहित पीवीआर/आईनॉक्स की वेब साइट/मोबाईल एप्प पर 18 सितम्बर से शुरू होगी।
मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और बेंगलुरू जैसे महानगरों के अलावा हैदराबाद, अहमदाबाद, वडोदरा, गांधीनगर, जामनगर, सूरत, जयपुर, चंडीगढ़, मोहाली, गुरुग्राम, नोएडा, लखनऊ, गुआहाटी, रायपुर, पणजी, त्रिवेंद्रम, कोच्चि, राउरकेला, कोयंबतूर, नागपुर, औरंगाबाद और पुणे सहित मध्य प्रदेश में ग्वालियर और इन्दौर के दर्शक इस इस फिल्मोत्सव का लुत्फ उठा सकेंगे। लेकिन राजधानी भोपाल सहित उज्जैन और सतना को इस सूची से परे क्यों धकेल दिया गया? समझ से परे है। जबकि इन तीनों शहरों में पीवीआर/आईनॉक्स की मौजूदगी पहले से है।
कालजयी अदाकार देव आनंद अभिनीत एक सौ से अधिक फिल्मों में से चुनी गई अलग-अलग कालखण्ड की भिन्न भिन्न तासीर वाली ये चारों फिल्में अपने आप में अनेक खूबियां समेटे हुए हैं। पुरानी पीढ़ी के अधिकांश लोगों ने ये फिल्में अपने लड़कपन में अल्प टिकट दरों पर हाऊसफुल के भीड़ भरे नजारों से गुजरकर देखी हैं। कालांतर में जब सिनेमा खुद चलकर लोगों के घरों तक आ पहुंचा तब भी टीवी पर पुरानी फिल्में देखने की हसरत बनी रही। अब नई सदी के मल्टीप्लेक्स युग में पॉपकॉर्न और महंगे टिकट लेकर आधुनिक तकनीक पर सवार पुरानी क्लासिक फिल्मों के तकनीक संवर्धित संस्करणों का पुनरावलोकन बुजुर्गों के साथ साथ नई पीढ़ी के युवाओं के लिए भी सिनेमा के फ्लैश बैक का नया अवतार साबित हो सकता है..!
देव आनंद के 67 वर्षीय पुत्र सुनील आनंद और फिल्म हैरिटेज फाऊंडेशन के निदेशक शिवेन्द्र सिंह डूंगरपुर संस्थान की इस ताज़ा पेशकश को लेकर काफी आशान्वित हैं। उन्हें लगता है कि देश की नई पीढ़ी के युवा दर्शकों को जानना चाहिए कि किस तरह भारत के ग्रेगरी पैक कहलाने वाले देव आनंद ने अपने स्टाइलिश अभिनय से भारतीय सिनेमा के इतिहास में सदाबहार अभिनेता का दर्जा हासिल किया।
फिल्म हैरिटेज फाऊंडेशन इससे पूर्व “दिलीप कुमार: हीरो ऑफ हीरोज” और “बच्चन: बैक टू द बिगनिंग” नामक फिल्म फेस्टीवल आयोजित कर चुका है।