दिल्ली : गरीब किसानो के हित में आगे आए मंत्री तोमर, कही ये बात

Suruchi
Published on:

नई दिल्ली(New delhi) : राष्‍ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम पर पूर्वोत्तर राज्यों का शिखर सम्‍मेलन आज गुवाहाटी में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर  तोमर ने कहा कि देश में समग्र व संतुलित विकास प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की प्राथमिकता है। उनकी हमेशा यह कोशिश रहती है कि विकास की यात्रा में सबका साथ होना चाहिए, 130 करोड़ लोगों के बीच इस विकास यात्रा का लाभ बंटना चाहिए, सभी को यश मिलना चाहिए। सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास- सबका प्रयास के सिद्धांत के आधार पर देश को आगे बढ़ाने की सफलतम कोशिश मोदी जी के नेतृत्व में हो रही है, जिसका प्रतिसाद भी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है, जो अब विकास की दौड़ में शामिल हो चुका है।

केंद्रीय मंत्री  तोमर ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का देश में बहुत महत्व है। यहां की भौगोलिक स्थिति, जलवायु व सुंदरता अद्भुत है। प्रकृति ने पूर्वोत्तर में जितनी समृद्धता उकेरी है, उतनी अन्य कहीं नहीं। यह दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्र है, जिसे लंबे कालखंड तक विकास की प्राथमिकता में नहीं रखा गया लेकिन मोदी जी ने पीएम के रूप में काम संभालने के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है। विकास की दौड़ में पिछड़े इस क्षेत्र को देश की मुख्यधारा में लाने के लिए मोदी जी के नेतृत्व में योजनाएं बनाकर तेजी से काम किया जा रहा है। तोमर ने बताया कि पूर्वोत्तर के विशाल संभावित क्षेत्र का उपयोग करने और ऑयल पाम के लिए आयात निर्भरता कम करने हेतु प्रधानमंत्री  मोदी के नेतृत्व, उनकी दूरदृष्टि के तहत, केंद्र सरकार ने 11 हजार करोड़ रुपये के राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम को मंजूरी दी है।

यह मिशन न केवल ऑयल पाम का उत्पादन बढ़ाने व आयात घटाने के लिहाज से बल्कि रोजगार की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यहां निवेश आने से इस पूरे क्षेत्र में काफी रोजगार सृजित होंगे व क्षेत्र का चहुंमुखी विकास संभव हो सकेगा, जिसके लिए केंद्र सरकार दृढ़ संकल्पित है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में 28 लाख हेक्टेयर का क्षेत्रफल पाम तेल की खेती के लिए उपयुक्त है, जिसमें से लगभग 9.62 लाख हेक्टेयर अकेले पूर्वोत्तर में उपलब्ध है। यह मिशन किसानों को लाभकारी कीमतों के लिए आश्वस्त भी करता है। जरूरत पड़ने पर वायबिलिटी गैप पेमेंट डीबीटी के जरिए किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। किसान बिना किसी चिंता के ज्यादा से ज्यादा खेती करते हुए मिशन का लाभ लें।

यहां उद्योग आएं ,जिसके लिए वातावरण बनाने में किसानों का भी योगदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि खाद्यान्न की तरह ही हमारा देश हर चीज में आत्मनिर्भर होना चाहिए और निर्यात बढ़ना चाहिए।  तोमर ने कहा कि हमारे देश की अधिकांश आबादी गांवों मे रहती है व बड़ी संख्या में लोग खेतों में मजदूरी करते हैं, इनकी जेब में पैसा होगा तो देश के बाजार भी गुलजार रहेंगे, इसलिए उद्यमी व अन्य लोग जो भी काम करें, उसके केंद्र में किसान व गरीब होना चाहिए। इन वर्गों तक ज्यादा से ज्यादा पैसा पहुंचे, ऐसा सभी का उद्देश्य रहना चाहिए। इस बिजनेस समिट में सभी संबंधित हितधारक शामिल हैं और इस प्लेटफार्म पर मिशन के विभिन्न घटकों और आगे की राह पर विस्तार से विचार-विमर्श होगा। राज्यों व आप सबके सहयोग से मिशन की सफलता हासिल की जा सकती है। उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन से मिशन की तीव्र प्रगति संभव हो सकेगी।

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास तथा पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री  जी. किशन रेड्डी ने कहा कि पीएम के निर्देश पर पूर्वोत्तर में पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है, जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री को धन्यवाद दिया।  रेड्डी ने कहा कि मिशन का लक्ष्य पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देना है, ताकि खाद्य तेलों के मामले में देश आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र प्रायोजित इस मिशन को सभी राज्य मिल-जुलकर सफल बनाएंगे।  रेड्डी ने कहा कि हर महीने लगभग 20 केंद्रीय मंत्री पूर्वोत्तर का दौरा कर रहे हैं। पूर्वोत्तर में रेलवे कनेक्टिविटी के लिए मिशन मोड पर काम किया जा रहा है। क्षेत्र के राज्यों में रोड, संचार सहित अन्य सभी सुविधाओं के लिए भी तेजी से काम किया जा रहा है।

सम्मेलन में अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री  पेमा खांडू, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी व  शोभा करंदलाजे, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा, सिक्कम के कृषि मंत्री  लोक नाथ शर्मा, अन्य जनप्रतिनिधियों एवं केंद्रीय कृषि सचिव  संजय अग्रवाल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, असम के मुख्य सचिव  जिष्णु बरुआ आदि उपस्थित थे। कृषि सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी तथा असम, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम, मेघालय, त्रिपुरा के कृषि विभाग के प्रधान सचिव व अन्य अधिकारी, आईसीएआर के संस्थानों के वैज्ञानिक, भारतीय स्टेट बैंक के सीएमडी, तेल प्रसंस्करण उद्योगों, केंद्रीय व राज्य संगठनों के प्रतिनिधि, प्रगतिशील किसान भी मौजूद थे।