मुंबई: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में दही-हांड़ी उत्त्सव पर भी देखने को मिला और इसकी वजह से त्यौहार फीका रहा। मंडलों में हर साल जैसी चहल-पहल नहीं दिखी। कोरोना के चलते इस साल उत्सव सादे तरीके से मनाने का निर्णय लिया गया था। बता दे कि इस साल दही-हांड़ी मंडल मानव पिरामिड बनाकर नहीं फोड़े गए। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर यह उत्सव मनाया जाता है।
बता दे कि इस साल पिरामिड बनाने की जगह मंडल स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण अभियान चला रहे हैं। जिसमे रक्तदान के शिविर लगाए जा रहे है साथ ही अन्य स्थानों से प्लास्टिक हटाने के कार्य में जुटे हैं। कृष्ण जन्माष्ट्मी महाराष्ट्र में अनेक वर्षो से काफी धूम-धाम से मनाया जाता रहा है। मुंबई और पड़ोसी क्षेत्र ठाणे ने यह उत्सव काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दही-हांडी आयोजनों में धार्मिक संस्थाएं, नेता और रंगे-बिरंगे कपड़े पहने गोविंदा के रूप में युवाओं की टोली हिस्सा लेती थी।
कई सामाजिक समूह भी दही-हांडी कार्यक्रम आयोजित कराते थे। मटकी फोड़ने वाले समूह को नकद राशि भी दी जाती थी। बता दे की इस हांडी में दही और मक्खन रखा जाता है और यह रस्सी की मदद से काफी ऊंचाई पर बंधी होती है। लेकिन इस साल सादे तौर तरीको से दही-हांडी मटकी फोड़ी जा रही है। सामाजिक दूरी बनाते हुए मास्क पहनकर सांकेतिक तौर पर कार्यक्रम को पूरा किया जा रहा है।