पूर्व राष्ट्रपति की किताब पर घर में ही आयी दरारे, बेटा नहीं चाहते की छपे किताब, बेटी इसके खिलाफ

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नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से लिखी गई किताब को लेकर उनके ही दोनों बच्चे आपस में भिड़त कर रहे है। दरअसल, उनके दोनों बच्चे बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी और अभिजीत मुखर्जी एक दूसरे के खिलाफ ट्वीटर पर ट्वीट कर रहे है। बता दे कि, इससे पहले, प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि वे चाहते हैं कि जनवरी में रिलीज होने जा रही इस किताब के कंटेंट की समीक्षा की जाए। साथ ही, अभिजीत ने इस बात की मांग की है कि इसका प्रकाशन तब तक रोका जाना चाहिए जब तक कि वे लिखित तौर पर सहमति नहीं दे देते हैं।

प्रकाशक को टैग करते हुए पूर्व कांग्रेस सांसद अभिजीत ने ट्विटर पर लिखा कि, मैं किताब के ऑथर का बेटा “द प्रसिडेंशियल मेमोइर्स” को लेकर आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इसका प्रकाशन रोक दें, इसका कुछ हिस्सा पहले ही कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बिना मेरी लिखित सहमति के चल रहा है।
साथ ही अभिजीत मुखर्जी ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि, किताब में कुछ अंश प्रेरित हैं और पहले से मीडिया में हैं। उन्होंने कहा कि, अगर उनके पिता स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी भी ज़िन्दा होते तो प्रकाशन से पहले खुद पूरी किताब ज़रूर पढ़ना चाहते। अभिजीत मुखर्जी ने न्यूज़ एजेंसी से कहा कि, “मुझे इस संदर्भ में जो भी कहना है, मैंने वो अपने ट्वीट में कह दिया है।”

https://twitter.com/ABHIJIT_LS/status/1338755408849039361?s=20

वही दूसरी ओर अभिजीत के ट्वीट के कुछ ही घंटों बाद प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने अनावश्यक प्रकाशन पर रोक को लेकर भाई की आलोचना की। उन्होंने कहा कि, अभिजीत को पुस्तक विमोचन में बाधा बनने से बचना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ये किताब अगले साल जनवरी में आने वाली है और प्रकाशन से पहले ही किताब को लेकर काफी विवाद हो चुका है। असल में इस किताब के अनुसार, प्रणब मुखर्जी ने खुद लिखा है कि, उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस ने दिशा खो दी थी और सोनिया गांधी पार्टी के मामले संभाल नहीं पा रही थीं।

https://twitter.com/Sharmistha_GK/status/1338787849915617288?s=20

किताब के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी ने ये भी लिखा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का अपने कार्यकाल में ज़्यादा वक्त यूपीए गठबंधन को बचाने में ही बीता, जिसका बुरा प्रभाव सरकार के कामकाज पर पड़ा।