दिनांक 04 नवम्बर 2020। आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि सेन्ट्रल ग्राउण्ड वाॅटर बोर्ड की रिपोट अनुसार इंदौर शहर ब्लेक झोन के अंतर्गत होने से एवं भू-जल का स्तर लगातार कम होने से शहरहित व जनहित में निर्माण कार्यो हेतु बोरिंग के पानी का उपयोग किया जाना उचित नही है। साथ ही मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के अनुसार जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र में बोरिंग के पानी का उपयोग निर्माण कार्यो में किया जाना प्रतिबंधित होने से बोरिंग के पानी निर्माण व उद्यानिकी कार्यो में उपयोग नही किया जावे।
आयुक्त पाल ने बताया कि निगम द्वारा शहर से निकलने वाले सीवेज को कबीटखेडी एवं अन्य स्थानो पर स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा शोधन (ट्रीटमेंट) किया जाकर शोधित जल (ट्रीटेड वाॅटर) का पुर्नउपयोग करने हेतु शहर के विभिन्न 35 प्रमुख स्थानो जिनमें राजेन्द्र नगर, बापट चैराहा, अर्जुन नगर, गडबडी पुलिया, रेती मंडी चैराहा, गमले वाली पुलियां, होटल फारच्युन लेंण्डमार्क के पास शारदा मठ व अन्य स्थानो पर शोधित जल के हाईडेड स्थापित किए गए है व अन्य 42 स्थानो पर शीघ्र स्थापित किये जा रहे है। जहां से वर्तमान में निगम द्वारा शोधित जल (ट्रीटेड वाॅटर) निर्माण व उद्यानिकी के लिये निःशुल्क उपलब्ध कराया जावेगा।
आयुक्त पाल ने शहर के नागरिको से जनहित व शहरहित में अपील है कि निर्माण कार्यो व उद्यानिकी कार्यो में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा शोधन (ट्रीटमेंट) किया जाकर शोधित जल (ट्रीटेड वाॅटर) का पुनउपयोग कर शहर के विभिन्न स्थानो पर स्थापित शोधित जल के हाईडेड से शोधित जल निःशुल्क प्राप्त कर उपयोग करे।
यह विदित हो कि मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के प्रावधान अनुसार जल अभवग्रस्त क्षेत्रो में निर्माण व उद्यानिकी कार्यो में बोरिंग का उपयोग करने पर जुर्मान व सजा का प्रावधान है, निगम द्वारा निर्माण व उद्यानिकी कार्यो में शहर के प्रमुख स्थानो पर शोधित जल (ट्रीटेड वाॅटर) के हाइडेंड स्थापित किये गये है, जहां से नागरिकगण निःशुल्क शोधित जल (ट्रीटेड वाॅटर) का उपयोग कर, अप्रिय कार्यवाही से बचे।