इंदौर: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में ऐसे मामले भी पहुंच रहे हैं जिनमें डॉक्टर एक नहीं बल्कि दो जिंदगियां एक साथ बचाने की भूमिका निभा रहे हैं। इंडेक्स अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में देवास जिले की कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिला रूखसाना बी से जुड़ा इसी तरह का संवेदनशील मामला आया और डॉक्टरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए डिलिवरी करवाई।
अस्पताल के एडिशनल डायरेक्टर आरसी यादव ने बताया कि देवास जिले के इकलेरा की रहने वाली 27 वर्षीय रूखसाना बी को करीब तीन दिन पहले यहां लाया गया था। पहले स्थानीय स्तर पर उसका इलाज चल रहा था, लेकिन समस्या बढ़ जाने के बाद यहां पहुंचाया गया। गर्भवती महिला की डिलिवरी नजदीक होने के के कारण दर्द बढ़ रहा था। बगैर कोरोना की जांच के सामान्य वार्ड में नहीं रखा जा सकता था। विशेषज्ञों ने जांच की तो सेंपल पॉजिटिव पाया गया।
महिला को तुरंत संबंधित वार्ड में भर्ती किया गया
भर्ती होने के बाद भी दोहरी चुनौती थी। पहली पॉजिटिव होने के कारण कोरोना का इलाज करना और दूसरी यह कि डिलिवरी में आने वाली परेशानियों का निराकरण करना। हमारे अस्पताल के विशेषज्ञों ने दोनों ही समस्याओं का बखूबी समाधान किया और महिला की सर्जरी कर डिलिवरी करवाई गई। ऑरपरेशन के बाद नवजात का भी सैंपल लिया गया है, लेकिन रिपोर्ट फिलहाल प्राप्त नहीं हो सकी है। नवजात को एसएनसीयू में रखा गया है जबकि मां को कोरोना वार्ड में भेज दिया गया। उम्मीद है कि जल्द ही दोनों पूरी तरह ठीक हो जाएंगे।
करीब आधा दर्जन कोरोना पॉजिटिव महिलाओं की डिलिवरी
आरसी यादव ने बताया कि हमें गर्व है कि इंडेक्स अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव गंभीर मरीजों का इलाज बेहतर तरीके हो हो रहा है। अब तक करीब आधा दर्जन पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की डिलिवरी की गई है। कुछ में सर्जरी की गई जबकि कुछ में नहीं। दोनों ही तरह के मामलों में मां और बच्चे दोनों को बचा लिया गया। इस तरह के सभी कठिन कार्य में एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नम्रता श्रीवास्तव, डॉ. नाजिया नूर, डॉ. नेहा, डॉ. आकांक्षा, डॉ. सिद्धार्र्थ, एनीस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. नैय्यर, डॉ. निलेष, डॉ. मानसी और नर्सिंग इंचार्ज संजना डावर, उर्मिला ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
अलग-अलग दिनों में अस्पताल आए सात मरीज ठीक होकर घर पहुंचे
बढ़ते कोरोना मरीजों के बीच यह खबर भी राहत देने वाली है कि इंडेक्स अस्पताल व मेडिकल कॉलेज से लगातार पॉजिटिव मरीज ठीक होकर घर जा रहे हैं। 3 दिसंबर, गुरुवार को यहां से सात मरीज ठीक होकर घर पहुंचे। उक्त सभी मरीज अलग-अलग दिनों में लाए गए थे। डॉक्टरों और स्टाफ ने इन सभी को स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब दूसरों को भी सावधानियों का अनुसरण करने की प्रेरणा दें ताकि कोरोना से जीतना आसान हो सके।
बहाने बनाकर घर से निकलना बंद करें
डॉक्टरों ने डिस्चार्ज हो रहे मरीजों से कहा कि कोरोना को हराना तभी संभव है जब हम हर स्तर पर गंभीरता रखें। सबसे पहले खुद का ख्याल रखें और घर से बाहर जाने के लिए बहाने बनाना बंद कर दें। आज भी कई लोग बहाने बनाकर घर से बाहर जाते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता कि कोरोना सिर्फ उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए खतरा साबित हो सकता है। बेहद जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें और जो घर से बाहर जा रहे हैं उनके रहने, खाने आदि की व्यवस्था घर के दूसरे लोगों से अलग करें। सर्दी, जुकाम, बुखार के साथ सांस लेने में थोड़ी भी समस्या हो तो तुरंत संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें ताकि कोरोना को फैलने से रोककर मानवता को बचाया जा सके।