प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने विधानसभा चुनाव से पहले युवा मतदाताओं को लुभाने के लिये आज मप्र सरकार द्वारा आयोजित ‘यूथ महापंचायत’ में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा एक साल में एक लाख नौजवानों को रोजगार देने, 15 अगस्त से भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने, हर माह दो लाख युवाओं को स्वरोजगार देने तथा नई युवा नीति बनाये जाने की घोषणा को युवाओं को दिया जाने वाला राजनैतिक धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि 17 सालों से प्रदेश में शिवराज सरकार है जो अब एक साल में एक लाख युवाओं को रोजगार दिये जाने व हर माह दो लाख युवाओं को स्व-रोजगार देने का झूठा वायदा कर रही है, बेहतर होगा कि इसके पहले वे पीएससी परीक्षा-2019, चयनित संविदा शिक्षकों और पटवारियों की भर्ती तो कर दें।
मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यदि मुख्यमंत्री 17 सालों से प्रतिवर्ष एक लाख बेरोजगारों को रोजगार सृजित करने का दावा पूरा करते तो आज रोजगार कार्यालयों में 17 लाख से दोगुना, यानि 34 लाख शिक्षित युवक-युवतियां पंजीकृत नहीं होंते? नई युवा नीति लागू किये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा पर तंज कसते हुए मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री इसके पहले स्वामी विवेकानंद की जयंती पर कई बार नई युवा नीति लागू करने की घोषणा कर चुके हैं और आज चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर भी उन्होंने ऐसी ही घोषणा को दोहराया है,मुख्यमंत्री पहले स्वामी विवेकानंद की जयंती पर की गई घोषणाओं का हिसाब तो दें? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश को पर्यावरण स्टेट बनाने की बात भी कह रहे हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों में ही दो सालों में फारेस्ट कव्हर एरिया 25 प्रतिशत घट गया है, उसका जिम्मेदार कौन है?
मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री नई बोतल में पुरानी शराब पिलाकर प्रदेश के युवाओं के साथ एक बार फिर राजनैतिक धोखा कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के इस कथन को भी आपत्तिजनक बताया है कि आजादी के असली क्रांतिकारियों को लंबे समय तक नहीं पढ़ाया गया, सिर्फ एक ही परिवार को पढ़ाया गया! मिश्रा ने मुख्यमंत्री की शैक्षणिक योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए उनसे प्रतिप्रश्न किया कि क्या उन्होंने अपनी डिग्री नकल के माध्यम से ली है! क्या उन्होंने शैक्षणिक जीवन में महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महारानी लक्ष्मीबाई आदि महापुरूषों को अपने पाठ्यक्रम में पढ़ा है या नहीं। क्या यह महापुरूष एक ही परिवार के थे? अन्यथा मुख्यमंत्री यह भी बता दें कि जिन्हें नहीं पढ़ाया गया, उन गोलवलकरों, सावरकरों, गोडसो और श्यामाप्रसाद मुखर्जियों जैसे लोगों, जिनका देश की जंग-ए-आजादी में सिर्फ गद्दारी, हत्याओं और अंग्रेजी हुकूमत से भत्ता लेकर मुखबिरी करने व माफीवीरों के अलावा कौन सा योगदान रहा, क्या उन्हें पढ़ाया जाता?